कोचिंग इंस्टीट्यूट पर नकेल कसने के लिए अपनाया ये रास्ता... जयपुर.कोटा के कोचिंग संस्थानों में लगातार सामने आ रहे आत्महत्या के मामलों केबीचएक बार फिर प्रदेश में लाए जा रहे कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल और कोचिंग संस्थानों पर सख्ती बरतनी जैसी चर्चाएं तेज हो गई हैं. हालांकि ये बिल फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है, लेकिन अब कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण कर उनपर नकेल कसने की तैयारी जरूर की जा रही है. इसकी शुरुआत राजधानी जयपुर से की गई है.
इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर फीस स्ट्रक्चर पर निगरानी : जयपुर में जिला प्रशासन की ओर से जिला शिक्षा अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो कोचिंग संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर फीस स्ट्रक्चर पर निगरानी रखेंगे. हालांकि शिक्षाविदों के अनुसार सभी कोचिंग संस्थानों में मनोचिकित्सक, एग्जिट पॉलिसी, अच्छी सफाई व्यवस्था, अभिभावकों को सूचित करने और फायर सेफ्टी जैसी व्यवस्थाएं करने जैसे मामलों पर नजर रखेंगे ताकि किसी सुसाइड जैसे मामलों में कमी लाई जा सके.
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सुसाइड करने वाले 15 छात्रों में से 13 लड़के : प्रदेश में कोचिंग स्टूडेंट के बढ़ते सुसाइड मामलों ने न सिर्फ अभिभावकों बल्कि सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार हर 15 आत्महत्याओं में 87% छात्र और 13% छात्राएं हैं. इसकी वजह अलग-अलग हो सकती है, लेकिन शिक्षाविदों के अनुसार कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों पर पढ़ाई के साथ-साथ परिवार की आर्थिक स्थिति का भार भी होता है. इस भार की वजह है कोचिंग सेंटर की कमर तोड़ देने वाली फीस, जिसपर नकेल कसने की तैयारी की जा रही है.
6 सेंटर की रिपोर्ट तैयार : जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश मीणा ने बताया कि यहां कोचिंग सेंटर के निरीक्षण का कार्य शुरू किया जा चुका है. अब तक 6 सेंटर की रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है, जिसे जिला कलेक्टर को प्रेषित की जाएगी. इसके बाद जो भी निर्देश मिलेंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी. जगदीश मीणा ने बताया कि उनके निरीक्षण में कुछ कोचिंग सेंटर में फीस रिफंड से संबंधित प्रकरण थे. कुछ में साफ-सफाई और टॉयलेट से रिलेटेड समस्या थी, जिसे रिपोर्ट में मेंशन कर दिया गया है.
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इस तरह की जा रही पड़ताल :
- क्या कोचिंग संस्थान में मैनेजमेंट सदस्यों, कर्मचारियों, उनमें अध्ययनरत विद्यार्थियों का पूरा रिकॉर्ड और डाटा संधारित है
- कोचिंग सेंटर्स में छात्रों और अभिभावकों से प्राप्त शिकायतों के निवारण की क्या व्यवस्था है
- क्या कोचिंग संस्थान की ओर से विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए साइकोलॉजिकल काउंसलर की नियुक्ति की गई है और क्या विद्यार्थियों को पर्याप्त मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है
- क्या छात्र-छात्राओं के अध्ययन के तनाव को कम करने के लिए उनके कोचिंग पर मनोरंजन, खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों की सुविधा उपलब्ध है
- कोचिंग संस्थान में साफ सफाई की क्या व्यवस्था है
- क्या कोचिंग संस्थान की ओर से इजी एग्जिट पॉलिसी या फिर फीस रिफंड के संबंध में अभिभावक और विद्यार्थियों को स्पष्ट नीति से अवगत कराया गया है
- क्या कोचिंग संस्थान की ओर से विद्यार्थियों को उनकी कमियों को सकारात्मक ढंग से बताने के लिए फीडबैक मेकैनिज्म तैयार किया गया है
- कोचिंग संस्थान में वाईफाई की व्यवस्था है या नहीं
- क्या कोचिंग संस्थान की ओर से छात्रों को ई लेक्चर देने की सुविधा है
- क्या कोचिंग संस्थान की ओर से छात्र के 2 दिन से ज्यादा अनुपस्थित होने पर अभिभावकों को सूचित किया जाता है
- क्या विद्यार्थियों को संस्थान में पौष्टिक भोजन, अल्पाहार की सुविधा है
- क्या विद्यार्थियों को आवश्यकता पड़ने पर प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है
- कोचिंग संस्थान की ओर से संचालित पीजी और छात्रावासों में निवास के लिए विद्यार्थियों का विवरण, अभिभावकों के संपर्क की सूचना, मासिक किराया, रिफंड की नीति और नियमों का अंकन किया गया है
- क्या विद्यार्थियों के कोचिंग संस्थान और छात्रावासों में आने-जाने के समय को रजिस्टर में प्रविष्ट किया जाता है
- छात्रों से जुड़ा हुआ पूरा रिकॉर्ड संधारित किया गया है या नहीं
- शाम के समय लगने वाले कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा और रोशनी की व्यवस्था है
- सीसीटीवी उपकरण लगे हुए हैं, सुरक्षा गार्ड की पर्याप्त संख्या है या नहीं
- कोचिंग संस्थानों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था है या नहीं
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समस्या की जड़ तक पहुंचने की जरूरत :शिक्षाविद प्रो. अल्पना कटेजा ने बताया कि कोचिंग संस्थानों से जुड़े छात्रों के सुसाइड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को सबसे पहले समस्या की जड़ तक पहुंचने की जरूरत है. छात्रों को इस तरह की एजुकेशन दी जाए कि कॉलेज यूनिवर्सिटी के अंकों के आधार पर ही छात्रों को नौकरी के लिए सिलेक्ट किया जा सके. साथ ही कोचिंग सेंटर की इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ फीस स्ट्रक्चर पर भी ध्यान देने की दरकार है.
जल्द लाना चाहिए कानून :उन्होंने कहा कि लगभग सभी कोचिंग सेंटर प्राइवेट हैं. इनका उद्देश्य प्रॉफिट कमाना होता है, इसके लिए वो कॉस्ट कटिंग करते हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों को अट्रैक्ट करने के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर और अच्छे टीचर का एडवर्टाइजमेंट किया जाता है, लेकिन इन कोचिंग संस्थानों में एग्जिट पॉलिसी क्लियर नहीं होने की वजह से छात्र खुद को असहाय महसूस करता है. ऐसे में इन पर नकेल कसने के लिए सरकार को जल्द कानून लाना चाहिए.
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पढ़ाई और आर्थिक स्थिति की चिंता में अवसाद : शिक्षाविद प्रो. राम सिंह चौहान ने बताया कि कोई भी अभिभावक 20 से 30 हजार तक की फीस तो वहन कर सकता है, लेकिन लाखों की फीस कहीं न कहीं उनकी आर्थिक स्थिति पर हावी पड़ती है. इसकी वजह से बच्चे पर दोहरी मार पड़ती है. एक तरफ पढ़ाई की चिंता, दूसरी तरफ से परिवार की आर्थिक स्थिति की चिंता रहती है. इसकी वजह से छात्र तनाव और अवसाद में आ जाते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं. ऐसे में मिनिमम फीस में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कराई जानी चाहिए. यदि कोई छात्र बीच में से छोड़कर जाता भी है तो उसे या तो फीस रिफंड करनी चाहिए.
इंडस्ट्री का रूप ले चुके कोचिंग संस्थान :उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थानों के साथ-साथ भर्ती परीक्षा कराने वाली एजेंसियों को भी अपना कैलेंडर जारी करना चाहिए, ताकि छात्र को पता रहे कि परीक्षा कब होनी है और इसका रिजल्ट कब जारी होगा. प्रो. चौहान ने कहा कि कोचिंग संस्थान आज की तारीख में इंडस्ट्री का रूप ले चुके हैं, ऐसे में उन पर नकेल कसने की दरकार है. इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार भी अपने स्तर पर कुछ निशुल्क सरकारी कोचिंग संस्थान शुरू करनी चाहिए और अनुप्रति योजना की भी मॉनिटरिंग होनी चाहिए. बहरहाल, राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रतियोगिता परीक्षाओं की नॉमिनल चार्ज पर एपीटीसी सेंटर में कक्षाएं संचालित होती हैं. इसके अलावा यहां एनजीओ के माध्यम से 1 जून से निशुल्क कक्षाएं भी शुरू होंगी, जिसमें छात्र ऑफलाइन और ऑनलाइन ज्ञान अर्जित कर अपना भविष्य संवार सकेंगे.