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Lohri Celebration in Jaipur: राजापार्क में मुख्य आयोजन, आज इको फ्रेंडली लोहड़ी मनाएगा पंजाबी समाज!

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Published : Jan 13, 2023, 8:14 AM IST

कोविड के दो साल बाद पहली बार राजापार्क में सामूहिक रूप लोहड़ी का त्योहार मनाया जाएगा (eco friendly Lohri Celebration). इस मौके पर लोहड़ी का मेला भी भरेगा और पंजाब के सिंगर भांगडा और गिद्दा की प्रस्तुति भी देंगे.

Lohri Celebration in Jaipur
Lohri Celebration in Jaipur

जयपुर.खास बात ये है कि इस बार शहर भर में इको फ्रेंडली लोहड़ी मनाई जाएगी (Lohri Celebration in Jaipur). पारम्परिक तरीके से लकड़ी का इस्तेमाल नहीं होगा बल्कि गोकाष्ठ का उपयोग किया जाएगा. इस नई सोच के साथ ही 400 पेड़ बचाने का संकल्प लिया गया है. पर्व की पूर्व संध्या पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ट्वीट के माध्यम से लोगों को लोहड़ी की शुभकामनाएं दी हैं. उनकी सुख समृद्धि और निरोगी जीवन की कामना की है.

आज यानी 13 जनवरी को शहर में लोहड़ी के त्योहार का उल्लास नजर आएगा. पंजाबी समाज की ओर से घर-घर लोहड़ी की अग्नि प्रज्ज्वलित की जाएगी। लोहड़ी को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने लोहड़ी को जीवन में उल्लास, उमंग और आशा का संचार करने वाला बताते हुए कहा कि नई ऊर्जा का प्रवाह करने वाले इस पर्व पर सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने का संकल्प लेना चाहिए.

आज इको फ्रेंडली लोहड़ी

बिका 3000 किलो गोकाष्ठ-राजधानी जयपुर में मुख्य आयोजन राजापार्क में होगा, जहां समाज के लोग सामूहिक रूप से लोहड़ी की अग्नि प्रज्ज्वलित करेंगे. हालांकि पर्यावरण संरक्षण और वातावरण शुद्धि के लिए पंजाबी समाजसे अपील कि गई है कि इस बार लोहड़ी पर लकड़ी बिल्कुल न जलाएं. यही वजह है कि इस बार शहर भर में लोहड़ी में गोकाष्ठ का उपयोग किया जाएगा. इसके लिए करीब तीन हजार किलो गोकाष्ठ बिकी है.

जयपुर के पंजाबी- शहर में पंजाबी समाज के करीब 4 लाख लोग निवास कर रहे हैं. समाज के करीब सवा लाख परिवार है, जहां घर-घर शगुन के बतौर लोहड़ी की अग्नि प्रज्ज्वलित की जाती है. घरों में 20 से 30 किलो लकड़ी काम में ली जाती है, जबकि सामूहिक रूप से लोहड़ी जलाने पर 5 से 6 क्वींटल तक लकड़ी काम में ली जाती है. राजस्थान प्रदेश पंजाबी महासभा की ओर से समाजबंधुओं को आर्य समाज राजापार्क से गोकाष्ठ उपलब्ध करवाई जा रही है. 5 से 20 किलो तक के गोकाष्ठ के पैकेट तैयार किए गए है. छोटा पैकेट 50 रुपए और बड़ा पैकेट 200 रुपए में दिया जा रहा है.

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3 दशक से राजापार्क में भव्य आयोजन- आपको बता दें कि शहर के गली- मोहल्लों के अलावा पिछले 30 साल से सबसे बड़ी लोहड़ी राजापार्क के मुख्य चौराहे पर जलाई जाती है. हर बार यहां 5 से 6 क्वींटल लकड़ी काम में ली जाती है. इस बार 150 किलो गोकाष्ठ से लोहड़ी की अग्नि प्रज्ज्वलित की जाएगी. इससे 400 पेड़ों को बचाने का संकल्प लिया गया है.

क्यों मनाते हैं लोहड़ी?- ये सूर्य और अग्नि को समर्पित पर्व है. नई फसल पकती है उसमें भगवान भास्कर की कृपा होती है तो अग्नि पवित्र मानी जाती है. शास्त्रानुसार अग्नि के जरिए ही सभी देवी देवता भोग ग्रहण करते हैं. मान्यता है कि लोहड़ी के माध्यम से नई फसल का भोग सभी देवताओं तक पहुंच जाता है. दरअसल, ये एक तरीका है सूर्य देव और अग्निदेव के प्रति आभार जताने का. उत्सव के तौर पर मना कर प्रार्थना की जाती है कि आने वाले समय में भी अच्छी फसल और सुख समृद्धि बनी रहे.

इसलिए कहते हैं लोहड़ी-ये पर्व मौसम के परिवर्तन को दर्शाता है. लोहड़ी की रात साल की सबसे लम्बी रात होती है. अकसर सवाल लोहड़ी के शाब्दिक अर्थ को लेकर उठता है. आखिर इसका मतलब होता क्या है! तो‘ल’ का अर्थ है लकड़ी ‘ओह’ का अर्थ है गोहा यानी सूखे उपले और ‘ड़ी’ का मतलब यहां रेवड़ी से है इसलिए लोहड़ी पर उपलों और लकड़ी की मदद से अग्नि जलायी जाती है.

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