जयपुर. बिना प्लानिंग के शुरू की गई योजना कैसे सुविधा की जगह लोगों की परेशानी का कारण बन जाती है इसकी बानगी राजधानी में चल रहे ई-रिक्शा के तौर पर देखा जा सकता है. यहां आए दिन ई-रिक्शा की वजह से लोगों को सुविधा होने के बजाय संकट का सामना करना पड़ता है. दरअसल, आमजन को किफायती दर पर परिवहन का साधन मुहैया करवाने के साथ ही पर्यावरण को बचाने का हवाला देकर शुरू किए गया ई-रिक्शा अब आमजन लिए सिरदर्द बन गया है.
गुलाबी नगरी में परकोटे के साथ ही करीब दर्जनभर स्थान ऐसे हैं, जहां दिन में कई बार जाम के हालात बन जाते हैं. इनमें ज्यादातर जाम ई-रिक्शा के कारण लगते हैं. इसका एक कारण यह है कि ई-रिक्शा चालक बीच सड़क पर भी वाहन रोककर सवारी बिठाने की जुगत में रहते हैं. सवारियों को उतारने में भी इसी तरह की मनमानी सामने आती है. इसके चलते पीछे चल रहे वाहन चालकों को रुकना पड़ता है और जाम के हालात बन जाते हैं.
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सवारियों के लिए 28 हजार ई-रिक्शा : बाजारों में जाम के हालात बनने से व्यापारी वर्ग खासा परेशान हैं. खास तौर पर सुबह और शाम के समय परकोटे समेत कई इलाकों में जाम लगने से लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने में ज्यादा समय खर्च करना पड़ रहा है. इसका प्रमुख कारण बाजारों में हजारों की संख्या में चल रहे ई-रिक्शा को माना जा रहा है. आंकड़ों की बात करें तो राजधानी जयपुर में परिवहन विभाग में करीब 31 हजार ई-रिक्शा पंजीकृत हैं. इनमें 28,000 सवारियों को लाने और ले जाने के लिए और करीब 3000 लोडिंग ई-रिक्शा शामिल हैं.
8 से 12 जोन किए, लेकिन फायदा नहीं :पहले राजधानी जयपुर को आठ जोन में बांटकर 24 हजार बैट्री संचालित ई-रिक्शा के संचालन की बात कही जा रही थी. फिर जोन की संख्या को बढ़ाकर 12 कर दिया गया. इन 12 जोन में फिलहाल 31 हजार ई-रिक्शा चल रहे हैं. योजना यह थी कि अलग-अलग जोन में पंजीकृत ई-रिक्शा उसी जोन में संचालित किए जाएंगे और उनकी पहचान के लिए इन पर जोन के हिसाब से अलग-अलग रंग की पट्टियां लगाई जाएंगी, लेकिन यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई. अब आलम यह है कि इन 31 हजार में से 25 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा परकोटे और आसपास के इलाकों में ही चल रहे हैं.