डॉग शो में नजर आए 65 से ज्यादा ब्रीड के डॉग्स जयपुर. देशी-विदेशी नस्लों के डॉग्स का अनूठा शो जयपुर के दशहरा मैदान में आयोजित हुआ. जिसमें इंटरनेशनल जजों ने डॉग्स की परख कर उन्हें अवार्ड दिए. इस शो में देश के 40 शहरों से 65 से ज्यादा ब्रीड के डॉग्स देखने को मिले. इनमें से कुछ तो वैनिटी वैन और चार्टर से भी जयपुर पहुंचे. खास बात ये रही कि इसी डॉग शो में शहरवासी देसी नस्ल के पप्पीज को अडॉप्ट करने भी पहुंचे. वहीं निगम प्रशासन की ओर से घरेलू डॉग्स को रजिस्टर करने के लिए भी कैंप लगाया. जिसमें इस बार पेट डॉग्स के बंध्याकरण की शर्त को हटाया गया.
राजधानी जयपुर में 24वां डॉग शो आयोजित हुआ. यहां अलग-अलग कैटेगिरी में आयोजित हुए कॉम्पिटिशंस को इंटरनेशनल जज यशोधरा और थाईलैंड के टोरचाई चांता क्रूम ने जज किया. शो में देशभर के 40 शहरों से आए डॉग्स ने भाग लिया. कॉम्पिटिशन में जजों ने डॉग के चलने, जंप, हाइट और स्ट्रक्चर को देखते हुए मार्क्स दिए. शो में इस बार यॉर्की, चुवावा, स्विस व्हाइट शेफर्ड, साइब्ररियन हस्की, अमेरिकन अकीता, फ्रेंच बुलडॉग, शित्जू, टॉय पॉम जैसे 65 से ज्यादा अनोखी ब्रीड्स शामिल हुईं.
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डॉग शो ऑर्गेनाइजर वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि डॉग्स के प्रति डॉग लवर्स की जो दीवानगी है, वो अनूठी होती है. यहां देश के लगभग 40 शहरों से डॉग लवर आए हैं. कोई अपने डॉग को वैनिटी वैन में तो कोई पर्सनल व्हीकल में लाए हैं. यहां ऐसे भी डॉग हैं, जो चार्टर से जयपुर पहुंचे हैं. इनमें कुछ डॉग्स के तो 6-7 हेल्पर भी हैं, जो डॉग के देखरेख कर रहे हैं. कोई बाल बना रहा है, कोई मसाज दे रहा है.
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उन्होंने कहा कि इस तरह की आयोजन में ऐसी मिसाल मिलती है कि डॉग लवर अपने डॉग को डॉग ना समझ कर जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा समझते हैं. क्योंकि उनका पेट उन्हें जिंदगी भर अनकंडीशनल लव करता है. उन्होंने बताया कि डॉग शो पूरी दुनिया में होते हैं. लंदन में होने वाले शो में करीब 40 हजार डॉग पार्टिसिपेट करते हैं. वर्ल्ड डॉग शो होता है, जो दुनिया के हर कैपिटल में होता है. इसके लिए बाकायदा हर कंट्री बिडिंग करती है. लास्ट टाइम ये आयोजन चीन में हुआ था, चीन को 30 साल की बिडिंग के बाद होस्ट करने का मौका मिला था.
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उन्होंने कहा कि पशुओं को रखना, पालना पशुओं के प्रति दया रखना, पशुओं को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना ये आदिकाल से चला रहा है. सनातन धर्म में भी पहली रोटी गाय की और आखिरी रोटी कुत्ते की निकलती है. हालांकि बीते दिनों स्वायत्त शासन विभाग में 5 डॉग्स ब्रीड को बैन करने की अनुशंसा की थी. इस पर वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि कोई भी डॉग बुरा नहीं होता, बुरी उसकी परवरिश होती है और एक डॉग ने किसी परिस्थिति वश किसी को काट लिया है, तो जांच करनी चाहिए कि उसने काटा क्यों. उसे बिहेवियर ट्रेनिंग दी जानी चाहिए. थेरेपी देते हुए सोशलाइज करें ताकि वो ऐसा दोबारा ना करे. डॉग्स को बैन करना ठीक उसी तरह है कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति का मर्डर कर दिया तो सभी व्यक्ति को जेल में डाल दो. उन्होंने इस फरमान को अजीबोगरीब और हास्यास्पद बताया.
उन्होंने बताया कि पहली बार निगम प्रशासन की ओर से ऐसे डॉग्स का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है जिनका बंध्याकरण नहीं किया गया. वैसे भी बंध्याकरण उन स्ट्रीट डॉग्स का किया जाना चाहिए जो सड़क पर पैदा होकर सड़क पर ही दम तोड़ देते हैं. उनकी संस्था एडॉप्शन जरूर कराती है, लेकिन इसका अनुपात पैदा होने वाले डॉग्स की तुलना में 5% ही है. इसलिए उनकी नसबंदी होना जरूरी है, ताकि वो कंट्रोल हो सके. जबकि घरेलू डॉग एक परिवार का सदस्य होता है और ये एनिमल क्रुएलिटी है कि किसी पेट ओनर को बाध्य करें कि पहले वो अपने डॉग का कोई अंग भंग कराए, तब उसका रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.
वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था बीते 4 साल से करीब 5 हजार से ज्यादा स्ट्रीट डॉग को घर दे चुकी है. प्रयास यही है की देसी हो या विदेशी हर ब्रीड के डॉग से एक जैसी मोहब्बत हो. डॉग सिर्फ किसी विदेशी ब्रीड का पालें, इस मानसिकता को बदलते हुए हर डॉग शो में इस तरह का एक कैंप ऑर्गेनाइज करते हैं. पिछले साल 128 डॉग्स को अडॉप्ट करवाया गया था. उन्होंने अपील की है कि यदि कोई व्यक्ति किसी ब्रीड का डॉग रखना चाहता है, तो बेशक रखे. लेकिन उसके साथ एक स्ट्रीट डॉग को भी अडॉप्ट करे.