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SMS के डॉक्टर्स ने बचाई तनिष्क की जान, हृदय में छेद और डाउन सिंड्रोम से पीड़ित था मासूम - SMS के डॉक्टर्स ने बचाई तनिष्क की जान

डेढ़ साल का मासूम तनिष्क हृदय में छेद और डाउन सिंड्रोम की बीमार से जूझ रहा था. कोई भी अस्पताल ऑपरेशन के लिए तैयार न था. ऐसे में परिजन मासूम को लेकर एसएमएस अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर एक और कीर्तिमान अपने नाम किया.

Doctors of Sawai Mansingh Hospital did miracle
Doctors of Sawai Mansingh Hospital did miracle

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Published : Apr 24, 2023, 8:36 PM IST

सवाई मानसिंह अस्पताल की सर्जन डॉ. हेमलता वर्मा

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल के डॉक्टर्स ने एक जटिल ऑपरेशन को अंजाम देते हुए मासूम को नया जीवनदान दिया है. डेढ़ साल के मासूम तनिष्क हृदय में छेद के साथ ही दुर्लभ बीमारी डाउन सिंड्रोम से जूझ रहा था. एसएमएस अस्पताल में आने से पहले बच्चे के परिजनों ने कई अस्पतालों में उसका इलाज भी करवाया था, लेकिन कोई भी अस्पताल बच्चे के दिल के छेद का ऑपरेशन करने को तैयार नहीं हुआ. आखिर में एसएमएस अस्पताल के डॉक्टरों ने इसकी जिम्मेदारी ली और इस जटिल ऑपरेशन को करते हुए एक और कीर्तिमान अपने नाम किया.

तनिष्क के दिल में छेद होने की वजह से ब्लड फेफड़ों तक आ जा रहा था. जिसका उपचार सवाई मानसिंह अस्पताल के सीटीवीएस सर्जन्स ने किया. सीटीवीएस डॉ. हेमलता वर्मा ने बताया कि तनिष्क के हृदय के छेद से खून फेफड़ों की तरफ बह रहा था. इससे उसके फेफड़ों का प्रेशर काफी बढ़ता जा रहा था. यदि समय पर ऑपरेशन नहीं किया जाता तो इनप्योर ब्लड अपोजिट दिशा में बहने लगता और हालत बिगड़ने पर खून शरीर के अंदरूनी अंगों से बाहर निकलना शुरू हो जाता.

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डॉ. वर्मा ने बताया कि आमतौर पर नवजात बच्चों में दिल के छेद का ऑपरेशन हाथों-हाथ कर दिया जाता है. लेकिन इस बच्चे की उम्र थोड़ी ज्यादा थी. ऐसे में इस तरह के ऑपरेशन में रिस्क अधिक होती है. लेकिन परिजनों की सहमति के बाद इस ऑपरेशन को किया गया. उन्होंने बताया कि बच्चा डाउन सिंड्रोम बीमारी से भी पीड़ित था, जिसकी वजह से रिस्क फेक्टर ज्यादा था. चूंकि इस बीमारी में फेंफड़ों की समस्या होती है. ऐसे में शरीर में ऑक्सीजन की कमी भी होने लगती है. इन सब बातों को ध्यान रखते हुए ऑपरेशन किया गया और अब बच्चा धीरे-धीरे रिकवर हो रहा है. हालांकि, इस ऑपरेशन को सफल बनाने में डॉ. हेमलता के साथ ही डॉ. अनुला, डॉ. शैफाली, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. अंशुल और डॉ. सतवीर ने अहम भूमिका निभाई.

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