राइट टू हेल्थ बिल पर कल होगी अहम बैठक जयपुर.प्रदेश की गहलोत सरकार आमजन को बेहतर इलाज मुहैया कराने के मकसद से राइट टू हेल्थ बिल लेकर आई है. लेकिन एक बार फिर विभिन्न चिकित्सक संगठनों की ओर से इस बिल का विरोध शुरू हो गया है. ऐसे में कल इस बिल को लेकर चिकित्सक संगठनों की चिकित्सा विभाग के साथ बैठक होनी है. इस बैठक में राइट टू हेल्थ बिल में व्याप्त तमाम उन बिन्दुओं पर चर्चा होगी. जिस पर चिकित्सक संगठनों की ओर से लगातार आपत्ति जताई जा रही है.
बताया गया कि राइट टू हेल्थ बिल को लेकर कल सचिवालय में डॉक्टर्स की सरकार के साथ अहम बैठक होनी है. इस बैठक में बिल को लेकर परामर्श मांगें जाएंगे. इस बैठक से पहले मंगलवार को जेएमए सभागार में जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले डॉक्टर्स एकत्रित हुए. जिसमें इस बिल को लेकर आपस में चर्चा की गई. मामले को लेकर जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. तरुण ओझा ने कहा कि सरकार आमजन को बेहतर इलाज देने के मकसद से राइट टू हेल्थ बिल ला रही है. लेकिन इससे पहले भी हम मरीज को हर तरह की सुविधा दे रहे हैं.
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इस बिल में कुछ खामियां है, जिसे लेकर पहले भी चिकित्सक संगठनों ने विरोध दर्ज करवाया था. ऐसे में हम चाहते हैं कि जो भी विसंगतियां हैं, उसे सरकार दूर करें. इसके अलावा जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. अनुराग शर्मा ने कहा कि इस बिल में राजस्थान के हर वर्ग से जुड़े डॉक्टर्स चाहे वह सरकारी हो या गैर सरकारी जरूरी संशोधन चाहते हैं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में तमाम डॉक्टर्स इस बिल को लेकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे और यह विरोध आंदोलन में भी बदल सकता है.
डॉक्टर्स का कहना है कि वह बिल के विरोध में कतई नहीं है. वह चाहते हैं कि बिल से जनता का भला हो, लेकिन बिल के अंदर कुछ जरूरी बदलाव की जरूरत है. जयपुर मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि इस बिल को लाने से पहले सरकार को एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए थी, लेकिन न तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और न ही जयपुर मेडिकल एसोसिएशन की ओर से किसी प्रतिनिधि को शामिल किया गया.
विरोध के बाद इस बिल को एक बार फिर से संशोधन के लिए भेजा गया है. जिसके बाद चिकित्सा विभाग के अधिकारी विभिन्न चिकित्सक संगठनों के साथ राइट टू हेल्थ बिल को लेकर कल चर्चा करेंगे. एसोसिएशन का कहना है कि इस बिल में इमरजेंसी इलाज को सही परिभाषित नहीं किया गया है. ऐसे में यदि इमरजेंसी हालात में अस्पताल मरीज का इलाज करेगा तो उसकी राशि का पुनर्भरण कौन करेगा. उसकी कोई जानकारी नहीं है. इसके अलावा चिकित्सकों के ऊपर एक प्राधिकरण भी लागू किया जा रहा है. जिसके तहत चिकित्सक के ऊपर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.