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सकट चौथ व्रत के दौरान भूलकर भी न करें ये काम...जानिए व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

धर्म शास्त्रों के मुताबिक माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को साल की सबसे बड़ी चतुर्थी (Sakat Chauth Vrat 2023) भी कहते हैं. आज के दिन गणेश जी की विशेष रूप से पूजा की जाती है. माघ के महीने में तिल का भी बहुत महत्व होता है इसलिए इसे सकट चौथ, तिल चौथ और माई चतुर्थी भी बोलते हैं. यहां जानिए व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

Sakat Chauth Vrat 2023
सकट चौथ व्रत

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Published : Jan 10, 2023, 9:03 AM IST

जयपुर. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सकट चौथ का व्रत (Sakat Chauth Vrat 2023) रखा जाता है. इस व्रत को सकट चौथ के अलावा संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी आदि नामों से जाना जाता है. सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है. ये व्रत खासतौर पर महिलाओं की ओर से अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए रखा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता गणेश संतान के सारे संकटों को दूर करते हैं.

सकट चौथ व्रत 2023 तिथि- पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से शुरू होगी. वहीं अगले दिन 11 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा. वैसे तो सकट चौथ के लिए उदया तिथि 11 जनवरी को प्राप्त हो रही है, लेकिन संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा का खास विधान है, इसलिए सकट चौथ का व्रत 10 जनवरी 2023, मंगलवार को ही किया जाएगा. सकट चौथ पर चंद्रोदय समय रात 8 बजकर 50 मिनट पर.

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सकट चौथ पूजा विधि (Sakat Chauth fast Puja Vidhi)-सकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें. गणेश जी के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति भी रखें. गणेश जी और मां लक्ष्मी को रोली और अक्षत लगाएं. फिर पुष्प, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें. सकट चौथ में तिल का विशेष महत्व है. इसलिए भगवान गणेश को तिल के लड्डुओं का भोग लगाएं. ॐ गं गणपतये नमः: मंत्र का जाप करें. अंत में सकट चौथ व्रत की कथा सुनें और आरती करें. रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर सकट चौथ व्रत संपन्न करें.

सकट चौथ का महत्व- धार्मिक मान्यता है कि सकट चौथ का व्रत रखने से गौरी पुत्र श्री गणेश प्रसन्न होते हैं और सभी संकटों से रक्षा करते हैं. शास्त्रों में माघ माह की चतुर्थी का सबसे अधिक महत्व बताया गया है, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश ने भगवान शिव जी और माता पार्वती की परिक्रमा की थी. जो लोग सकट चौथ के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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न करें ये काम- हिंदू धर्म में काला रंग अशुभ माना जाता है. किसी भी तरह का शुभ कार्य या धार्मिक अनुष्ठान करते समय काले रंग के कपड़े पहनना वर्जित माना जाता है. ऐसे में सकट व्रत करते समय महिलाएं भूलकर भी काले रंग के कपड़े न पहनें. इस दौरान माताएं पीले या लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ रहेगा. सकट चौथ व्रत के दौरान भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है. ऐसे में जब भी आप चंद्रमा को अर्घ्य दें तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि अर्घ्य के दौरान आपके पैरों में जल के छींटे न पड़ें.

सकट चौथ व्रत तभी पूरा होता है जब गणेश जी की पूजा करने के बाद चांद के दर्शन करते हुए उन्हें अर्घ्य दिया जाए. बिना चंद्रमा को अर्घ्य दिए पूजा ऐसे में भूलकर भी बिना चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किए व्रत नहीं खोलना चाहिए. भगवान गणेश की पूजा में कभी भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इससे गणेश जी नाराज हो सकते हैं. भगवान गणेश को दूर्वा घास बहुत ही प्रिय होती है. ऐसे में उनकी कृपा पाने के लिए पूजा में उन्हें दूर्वा घास जरूर अर्पित करें.

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