बीकानेर. कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व (Diwali 2022) मनाया जाता है. शास्त्रों के मुताबिक कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय इस दिन मां महालक्ष्मी अवतार का प्रादुर्भाव हुआ था और तभी से दीपावली के दिन को मां महालक्ष्मी की पूजा आराधना का दिन माना जाता है. मां महालक्ष्मी की पूजा अर्चना से धन, ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है. धन, ऐश्वर्य और वैभव का खजाना हमेशा भरा रहे और इसके लिए इस दिन भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है.
पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि किसी भी पूजा-अर्चना में सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना होती है और इसीलिए दीपावली के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. उनके साथ मां महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की भी पूजा होती है. कहते हैं कि मां महालक्ष्मी भगवान विष्णु की पूजा अर्चना से प्रसन्न होती है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए.
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स्थिर लग्न में होती है पूजा फलदायी- पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि वैसे तो दीपावली के दिन पूरे दिन ही पूजा अर्चना का महत्व है लेकिन मां लक्ष्मी की पूजा आराधना और विशेष पूजा अर्चना स्थिर लग्न में करनी चाहिए. वे कहते हैं कि गोधूलि लग्न, वृश्चिक लग्न, वृषभ लग्न सिंह लग्न जो कि रात्रि में आता है. इन लग्न में महालक्ष्मी की पूजा आराधना करनी चाहिए और इन सब में सिंह लग्न सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.
करना चाहिए यह पाठ- वे कहते हैं कि दीपावली की पूजा के समय कनकधारा स्त्रोत, गोपाल सहस्त्रनाम, श्रीसूक्त का पाठ करना चाहिए. इन सबका हमारे शास्त्रों में विधान है. वे कहते हैं कि इससे धन ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि कनकधारा स्रोत का पाठ करने रोजाना करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य की बरसात करती हैं. साथ ही यह भी मान्यता है कि जब दिवाली पूजा की जाती है तो उस दौरान मां लक्ष्मी वहीं विराजती हैं. प्रचलित कथाओं के अनुसार कनकधारा स्रोत के पाठ से आदिशंकराचार्य ने सोने की बारिश करवाई थी. इसलिए इस पाठ को चमत्कारी और अधिक फलदायी माना गया है.