राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

बिल्डर पर एक लाख का हर्जाना, 11.65 लाख भी ब्याज सहित लौटाने के आदेश - हर्जाना दिलाने की गुहार

जिला उपभोक्ता आयोग महानगर प्रथम ने एक बिल्डर पर एक लाख हर्जाना लगाया है. आयोग ने उपभोक्ता को आश्वासन देकर लोन सुविधा उपलब्ध नहीं कराने और बिल्डिंग का निर्माण पूरा नहीं करने को बिल्डर का सेवादोष माना है.

builder to pay compensation to consumer
बिल्डर पर एक लाख का हर्जाना

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 9, 2024, 8:26 PM IST

जयपुर.जिला उपभोक्ता आयोग महानगर प्रथम ने उपभोक्ता को आश्वासन देकर लोन सुविधा उपलब्ध नहीं कराने और बिल्डिंग का निर्माण पूरा नहीं करने को बिल्डर का सेवादोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने परिवादी को हुई परेशानी को देखते हुए मैसर्स यूनिक बिल्डर्स की युनिट मैसर्स यूनिक फ्लावर्स एलएलपी पर 1 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. वहीं परिवादी से वसूली गई 11.65 लाख रुपए की राशि परिवाद दायर करने की तिथि 14 अक्टूबर, 2019 से नौ फीसदी ब्याज सहित लौटाने को कहा है.

आयोग अध्यक्ष डॉ. सुबेसिंह यादव ने अपने आदेश में कहा कि बिल्डर के आश्वासन के बाद ही परिवादी ने फ्लैट बुकिंग कराई थी. ऐसे में बिल्डर की जिम्मेदारी थी कि वह परिवादी को लोन सुविधा मुहैया कराता. परिवादी को लोन इसलिए नहीं मिला कि उसकी उम्र अधिक थी, ऐसे में बिल्डर को सभी दस्तावेजों की जांच के बाद ही परिवादी को आश्वासन देने चाहिए था. इसके अलावा परिवादी के नोटिस का जवाब भी बिल्डर ने नहीं दिया. आयोग ने यह आदेश बृजमोहन शर्मा व अन्य के परिवाद पर दिए.

पढ़ें:20 रुपए ज्यादा वसूलने पर रेलवे से 21 साल लड़ी कानूनी लड़ाई, मिली जीत...जानिए अब कितनी रकम मिलेगी?

परिवाद में कहा गया कि मई, 2016 में बिल्डर के प्रतिनिधि ने परिवादी से संपर्क कर यूनिक विद्यादीप नाम से हाउसिंग प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए इसमें फ्लैट बुकिंग कराने को कहा. प्रतिनिधि ने आश्वासन दिया की वह समय-समय पर राशि जमा करा दे और शेष राशि का लोन करवा दिया जाएगा. इस पर परिवादी ने 7वीं मंजिल पर फ्लैट बुक करवाकर समय-समय पर कुल 12 लाख 18 हजार रुपए की राशि जमा करा दी.

पढ़ें:राजस्थानः रिजर्वेशन टिकट में यात्री को मेल की जगह फीमेल लिखा, उपभोक्ता आयोग ने रेलवे पर लगाया 50 हजार हर्जाना

इसके बावजूद भी चौथी मंजिल तक का निर्माण भी पूरा नहीं कराया. इसके अलावा उसे यह कहते हुए लोन सुविधा उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया कि परिवादी की उम्र को देखते हुए उसे लोन नहीं मिल सकता. जब परिवादी ने फ्लैट की बुकिंग निरस्त करने के लिए कहा तो बिल्डर ने 54 हजार रुपए का डेबिट नोट परिवादी को भिजवा दिया. इस पर परिवादी ने आयोग में परिवाद पेश कर हर्जाना दिलाने की गुहार की.

ABOUT THE AUTHOR

...view details