जयपुर.जिला उपभोक्ता आयोग क्रम-द्वितीय ने लोन की किश्त नहीं चुकाने के चलते जब्त की गई कार को सार्वजनिक नीलामी में बेचने के बाद नए खरीदार के नाम पर ट्रांसफर नहीं कराने और फास्ट टैग को नहीं हटाने को सेवा दोष करार दिया है. इसके साथ ही आयोग ने आईडीएफसी बैंक पर 3.61 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने बैक को निर्देश दिए हैं कि वह 15 दिन की अवधि में कार का ट्रांसफर उसे बेचे गए व्यक्ति के नाम पर कराए. आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना व सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश निशांत शर्मा के परिवाद पर दिया.
परिवाद में कहा गया कि कोविड के दौरान 2021 में परिवादी अपनी कार की किश्त नहीं चुका पाया. ऐसे में उसने बैंक से दो महीने का समय मांगते हुए बकाया दो लाख रुपए एकमुश्त देने के लिए कहा, लेकिन बैंक ने यह नहीं मानते हुए उसकी कार जमा कर ली और बाद में दो लाख रुपए से भी कम कीमत में अपने परिचित को सार्वजनिक नीलामी में बेच दी. कार बेचने के बाद उसका नाम ट्रांसफर की जिम्मेदारी बैंक की थी, लेकिन बैंक ने न तो नए खरीदार के नाम पर ट्रांसफर कराया और ना ही फास्ट टैग को ही हटाया.