जयपुर. पूर्व मंत्री और बीकानेर के कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी की गुरुवार को भाजपा में वापसी हो गई. पार्टी ज्वाइन करने के एक दिन बाद ही देवी सिंह भाटी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनसे मुलाकात की. भाटी और पूर्व सीएम राजे के करीबी रिश्ते रहे हैं और भाटी की भाजपा में वापसी वसुंधरा राजे की वजह से ही मानी जा रही है. अब वसुंधरा राजे के राजनीतिक भविष्य के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं.
क्या राजे को मिल रही बड़ी जिम्मेदारी: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आगामी विधानसभा चुनाव के बीच राजस्थान में दो दिन दौरा कर चुनावी गणित को सेट किया. अमित शाह और नड्डा ने कोर ग्रुप के सदस्यों के साथ में मैराथन बैठक की और आगामी चुनाव की रणनीति के तहत आगे बढ़ने का मंत्र भी दिया, लेकिन अमित शाह और नड्डा के वापस दिल्ली लौट के साथ ही राजस्थान में कुछ ऐसे सियासी घटनाक्रम हुए जिसके बाद अब यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है? क्योंकि नड्डा और शाह के वापस जाने के साथ ही उसी दिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के करीबी देवी सिंह भाटी को देर रात अचानक भाजपा में वापसी कराई गई. देवी सिंह भाटी की वापसी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे लंबे समय से कोशिश कर रही थीं, लेकिन केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से उनकी जिस तरह की अदावत थी, उसके बीच उनकी वापसी नहीं हो पा रही थी. लेकिन तमाम अड़चनों के बाद भी भाटी की वापसी को वसुंधरा राजे की मजबूती से जोड़कर देखा जा रहा है.
क्या अंदरूनी विरोध थमा?: बागी नेता देवी सिंह भाटी और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के बीच अदावत किसी से छीपी नही है. दोनों के बीच की खाई का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाटी ने खुले रूप से भाजपा के सांसद प्रत्याशी अर्जुन राम मेघवाल के खिलाफ प्रचार किया था, जिसकी वजह से भाटी की वापसी को लेकर भाजपा में अंदरूनी विरोध था. अर्जुन राम मेघवाल स्वयं उस कमेटी के संयोजक भी हैं जिसके पास बागी नेताओं की वापसी का जिम्मा है.