जयपुर. प्रदेश के शिक्षकों को बीएलओ कार्य से मुक्त करने के लिए हाल ही में राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता के साथ अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता कर अपनी बात रखी (Uproar Over BLOs duty in Rajasthan). उन्होंने शिक्षकों का पक्ष रखते हुए कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार शिक्षक को कोई भी गैर शैक्षणिक (बीएलओ) कार्य नहीं कराया जा सकता.
महासंघ का कहना है कि आदेश के बावजूद 80% से ज्यादा बीएलओ शिक्षक वर्ग से हैं. सरकार की ओर से बीएलओ कार्य के लिए 12 वर्गों के कार्मिकों को निश्चित किया गया है. उनके मुताबिक ये शासन और प्रशासन का शिक्षकों के साथ भेदभाव है. जिसे खत्म कर सभी वर्गों श्रेणियों के कार्मिकों को समान अनुपात में बीएलओ लगाए जाने की मांग भी की गई है.
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष केसर सिंह चंपावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ के तौर पर लगाई जाती है. आलम यह है कि अब प्रदेश में बीएलओ का काम हर साल 12 महीने होने लगा है. इससे सरकारी स्कूलों के छात्रों की शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है तो वो बेहतर रिजल्ट कैसे दे पाएंगे. ऐसे में राज्य सरकार को बीएलओ का नया कैडर ही तय कर देना चाहिए.