जयपुर. अपनी एक मांग को लेकर सरकार के साथ हुए समझौते को लागू करने की छह साल से राह देख रहे जेलकर्मियों का धैर्य अब टूटने लगा है. चुनावी साल में अपनी मांग पर सरकार को कोई ठोस निर्णय लेने पर मजबूर करने के लिए जेलकर्मियों ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. इससे पहले जेलकर्मियों ने 13 जून से सात दिन तक बाजू पर काली पट्टी बांधकर काम करते हुए अपनी मांग की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करवाने का प्रयास किया और सरकार की उदासीनता को लेकर विरोध दर्ज करवाया. लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो एक बार फिर आज बुधवार से मैस के बहिष्कार की शुरुआत की गई है. दरअसल, प्रदेश की करीब 100 जेलों में तैनात 300 जेलकर्मियों की मांग है कि उनका वेतन पुलिस और आरएसी के समकक्ष कर करीब 25 साल से चली आ रही वेतन विसंगति को दूर किया जाए.
पहले कांस्टेबल-हेड कांस्टेबल के समान था वेतन : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि वेतन विसंगति दूर करने की जेलकर्मियों की मांग कई साल पुरानी है. साल 1988 से 1998 तक कारागार विभाग में प्रहरी व मुख्य प्रहरी का वेतनमान पुलिस विभाग के कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल के बराबर था. लेकिन वित्त विभाग की ओर से 1 मार्च 1998 को पुलिस विभाग के कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन किया गया था. इसके बाद से जेल कर्मियों के वेतनमान में असमानता उत्पन्न हुई है और जेलकर्मी इसी वेतन विसंगति को दूर करने की मांग कर रहे हैं. उनकी मांग है कि उनका वेतनमान पुलिस और आरएसी के कांस्टेबल-हेड कांस्टेबल के बराबर किया जाए.