जयपुर.अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महापंचायत के मंच से भी अब मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठी है. साथ ही प्रदेश में एससी-एसटी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और समाज की जनसंख्या को देखते हुए दो फीसदी और आरक्षण बढ़ाने की मांग की गई है. वहीं, महापंचायत के दौरान मंच पर गहलोत सरकार में मंत्री गोविंद राम मेघवाल भी मौजूद रहे, जो एकाएक नाराज हो गए और देखते ही देखते वहां विवाद की स्थिति बन गई. दरअसल, मंच पर आयोजकों ने मंत्री मेघवाल को बोलने के लिए दो मिनट का समय दिया था. इसी बात को लेकर उनके समर्थक नाराज हो गए और मंत्री के जाते ही वहां हाथापाई की नौबत आ गई. इधर, मंत्री मेघवाल के अलावा तीन अन्य मंत्री महापंचायत में शामिल हुए थे, जो विवाद के बाद बिना संबोधन के लौट गए.
असल में चुनावी साल होने के नाते सभी समाज के लोग शक्ति प्रदर्शन कर अपनी मांगों को राज्य सरकार और सियासी पार्टियों के समक्ष उठा रहे हैं. इसी क्रम में रविवार को राजधानी जयपुर के मानसरोवर में अनुसूचित जाति व जनजाति महापंचायत का आयोजन किया गया. जिसमें एससी-एसटी समाज के नेता, अधिकारी, पूर्व अधिकारी समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए थे.
महापंचायत में उठे ये मुद्देःवहीं, पंचायत में एससी-एसटी समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों को उठाया गया. इस दौरान समाज के नेताओं ने भारत बंद 2018 और काकरी डूंगरी 2020 में पुलिस की ओर से युवाओं के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने, एससी-एसटी का आरक्षण को 2 फीसदी और बढ़ाने की मांग उठाई. साथ ही राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने, राजस्थान के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों और प्रोफेसर्स के पदों पर आरक्षण देने जैसी मांग उठाई गई.