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विधानसभा में राजस्थानी भाषा में शपथ की उठी मांग, विधायकों की पुकार संवैधानिक दायरे में दरकिनार! - ETV Bharat Rajasthan News

राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता का मसला पूरे प्रदेश में एक बार फिर तब चर्चा का मुद्दा बन गया. जब राजस्थान विधानसभा में आधा दर्जन के करीब विधायकों ने मायड़ में शपथ लेने का आग्रह किया. हालांकि आसन की ओर से किसी भी विधायक को इस बारे में इजाजत नहीं दी गई, पर यह मसला एक बार फिर भाषा प्रेमियों में आशा जगा गया. गौरतलब है कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 2003 में विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा था.

राजस्थानी भाषा में शपथ पर उठी मांग
राजस्थानी भाषा में शपथ पर उठी मांग

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 20, 2023, 10:19 PM IST

विधानसभा में राजस्थानी भाषा में शपथ पर उठी मांग

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में विधायकों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के दौरान बुधवार को 190 विधायकों ने शपथ ली, बाकी के आठ विधायक कल शपथ लेंगे. इनमें चार विधायक बीजेपी के हैं, तो तीन कांग्रेस के हैं. करीब ढाई घंटे चले इस कार्यक्रम के दौरान पहले सीएम भजनलाल शर्मा और फिर दोनों डिप्टी सीएम ने शपथ ली, इसके बाद प्रोटेम स्पीकर पैनल के तीन और विधायकों को शपथ दिलाई गई. जब विधायकों की शपथ का सिलसिला शुरू हुआ, तो कोलायत विधायक अंशुमान भाटी ने राजस्थानी भाषा में पूरी शपथ पढ़ ली. इसके बाद आसन की ओर से व्यवस्था देते हुए बताया गया कि पूर्व अध्यक्ष ने आठवीं अनुसूची में मान्यता नहीं मिलने तक सदन में राजस्थानी भाषा की शपथ को मान्य नहीं मानने की व्यवस्था दी थी, तो ऐसे में सदन में हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में ही शपथ लेने के लिए सदस्यों को निर्देश दिए गए. हालांकि भाटी आसन पर बैठे प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ से आग्रह करते रहे कि उन्होंने इस बारे में ईमेल के जरिए पहले ही नोटिस दिया था और राजस्थानी भाषा सबका गर्व है.

इस बीच भाजपा के वरिष्ठ विधायक जागेश्वर गर्ग ने भी आसान से आग्रह किया कि भाषा को मान्यता दिलाने के लिए आसन की ओर से कमिटमेंट किया जाए, उन्होंने बताया था कि मान्यता नहीं होने के बावजूद पूर्व में कोंकणी और मैथिली जैसी भाषाओं में शपथ ली गई थी. साथ ही उन्होंने पिछले कार्यकाल में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल की ओर से छत्तीसगढ़ी में ली गई शपथ का भी हवाला दिया, पर आसान ने अपनी व्यवस्था में पूर्व के निर्देशों का हवाला देकर राजस्थानी को मान्यता देने से इनकार कर दिया. बाद में सदन का मान रखते हुए अंशुमान भाटी ने हिंदी में ही शपथ ग्रहण की.

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डूंगरराम, भीमराज और रवीन्द्र ने भी आसन से मांगी इजाजत :विधायकों के शपथ ग्रहण के दौरान कांग्रेस विधायक डूंगरराम गेदर ने भी राजस्थानी में शपथ लेने का आसान से आग्रह किया, उन्होंने कहा कि राजस्थान के स्कूल और कॉलेज में जब राजस्थानी पढ़ाई जाती है, तो फिर शपथ लेने में किसी तरह की आपत्ति क्यों है, उन्होंने साल 2003 को विधानसभा की ओर से राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए भेजे गए प्रस्ताव का भी हवाला दिया, पर आसन ने उन्हें हिन्दी में ही शपथ लेने का निर्देश दिया, डूंगरराम के बाद पाली से कांग्रेस विधायक भीमराज भाटी ने भी राजस्थानी में शपथ लेने की बात कही थी, उन्होंने कहा कि जब मैथिली भाषा में नोटिफाई नहीं होने के बाद भी शपथ ली जा सकती है, तो फिर राजस्थानी में क्यों शपथ नहीं ? भीमराज भाटी ने कहा कि जब लॉ मिनिस्ट्री ने इस बारे में संविधान की धारा 120 के तहत आज्ञा देने का प्रावधान रखा है, तो फिर उन्हें इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है. उसके बाद शिव से विधायक रवींद्र सिंह भाटी ने भी राजस्थानी भाषा में शपथ बोल दी, जिन्हें आसन पर बैठे किरोड़ी लाल मीणा ने कार्यवाही से हटाने के निर्देश देकर विधिसंवत भाषाओं में शपथ लेने की बात कही. इसके अलावा राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की मांग करने वालों में बाबू सिंह राठौड़ और प्रताप पुरी भी शामिल रहे.

प्रताप पुरी ने सदन से बाहर उठाई मांग :पोकरण से विधायक महंत प्रतापपुरी से विधानसभा के बाहर राजस्थानी भाषा की मान्यता से जुड़े सवाल पर कहा कि राजस्थानी हमारी मातृभाषा है, राजस्थानियों को इसकी संवैधानिक मान्यता मिलने पर गर्व होगा. उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में उनकी पार्टी का प्रयास रहेगा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा को भी मान्यता मिले, उन्होंने भरोसा जताया कि इस सिलसिले में उन्हें जल्द कामयाबी मिलेगी.

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आठवीं अनुसूची में शामिल हैं 22 भाषाएं :संविधान की आठवीं अनुसूची में अब तक देश में प्रचलित 22 भाषाओं को संवैधानिक मान्यता दी गई है, इनमें प्रमुख रूप से असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी शामिल है. आठवीं अनुसूची में 14 भाषाओं को संविधान के प्रारंभ में ही शामिल कर लिया गया था. इसके बाद 1967 में सिंधी भाषा को 21वें संविधान संशोधन अधिनियम से आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था, वहीं 1992 में 71वें संशोधन अधिनियम में कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को शामिल किया गया, जबकि साल 2003 में 92वें सविधान संशोधन अधिनियम जो कि वर्ष 2004 से प्रभावी हुआ में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, फिलहाल आठवीं अनुसूची में 38 और भाषाओं को शामिल किए जाने की मांग है, जिनमें राजस्थानी भाषा भी शामिल है.

सोशल मीडिया पर उठा मामला :राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने और सदन में विधायकों की ओर से मांग किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर राजस्थानी समर्थक लगातार इस बारे में लिखते रहे. इस दौरान लगातार मान्यता और इसके बीच के रास्ते को लेकर चर्चा हुई और राजस्थानी युवा समिति ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि उपबंध अनुच्छेद 210 में विधायक के अपनी मातृभाषा में शपथ लेने की बात कही गई.

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21 विधायकों ने संस्कृत में ली शपथ :विधानसभा में संस्कृत में शपथ लेने वाले विधायकों का भी चर्चा हुई , खास तौर पर दो मुस्लिम विधायक डीडवाना से यूनुस खान और रामगढ़ से जुबेर खान की ओर से संस्कृत में शपथ पढ़े जाने की चर्चा की गई . इसके अलावा संस्कृत में शपथ लेने वाले विधायक उदयलाल भड़ाना, गोपाल लाल शर्मा, गोपाल शर्मा, जोगेश्वर गर्ग, कैलाश चंद्र मीणा,छगन सिंह राजपुरोहित, जेठानंद व्यास, जोराराम कुमावत ,दीप्ति किरण माहेश्वरी, महंत प्रताप पुरी, स्वामी बालमुकुंद आचार्य , बाबू सिंह राठौड़ , लादूलाल पीतलिया ,वासुदेव देवनानी ,हरि सिंह रावत, पब्बाराम विश्नोई, संदीप शर्मा, शंकर डेचा और नौक्षम चौधरी शामिल थे. इस बीच राजस्थान विधानसभा के अंदर खूबसूरत नजारा तब देखने को मिला, जब आसन पर बैठे किरोड़ी लाल जी मीणा ने अपने भतीजे राजेंद्र मीणा को विधायक पद की शपथ दिलाई, महुआ से किरोड़ी लाल जी मीणा के भतीजे राजेंद्र मीणा जीतकर सदन में पहुंचे हैं.

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