जयपुर. राजस्थान विधानसभा में विधायकों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के दौरान बुधवार को 190 विधायकों ने शपथ ली, बाकी के आठ विधायक कल शपथ लेंगे. इनमें चार विधायक बीजेपी के हैं, तो तीन कांग्रेस के हैं. करीब ढाई घंटे चले इस कार्यक्रम के दौरान पहले सीएम भजनलाल शर्मा और फिर दोनों डिप्टी सीएम ने शपथ ली, इसके बाद प्रोटेम स्पीकर पैनल के तीन और विधायकों को शपथ दिलाई गई. जब विधायकों की शपथ का सिलसिला शुरू हुआ, तो कोलायत विधायक अंशुमान भाटी ने राजस्थानी भाषा में पूरी शपथ पढ़ ली. इसके बाद आसन की ओर से व्यवस्था देते हुए बताया गया कि पूर्व अध्यक्ष ने आठवीं अनुसूची में मान्यता नहीं मिलने तक सदन में राजस्थानी भाषा की शपथ को मान्य नहीं मानने की व्यवस्था दी थी, तो ऐसे में सदन में हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में ही शपथ लेने के लिए सदस्यों को निर्देश दिए गए. हालांकि भाटी आसन पर बैठे प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ से आग्रह करते रहे कि उन्होंने इस बारे में ईमेल के जरिए पहले ही नोटिस दिया था और राजस्थानी भाषा सबका गर्व है.
इस बीच भाजपा के वरिष्ठ विधायक जागेश्वर गर्ग ने भी आसान से आग्रह किया कि भाषा को मान्यता दिलाने के लिए आसन की ओर से कमिटमेंट किया जाए, उन्होंने बताया था कि मान्यता नहीं होने के बावजूद पूर्व में कोंकणी और मैथिली जैसी भाषाओं में शपथ ली गई थी. साथ ही उन्होंने पिछले कार्यकाल में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल की ओर से छत्तीसगढ़ी में ली गई शपथ का भी हवाला दिया, पर आसान ने अपनी व्यवस्था में पूर्व के निर्देशों का हवाला देकर राजस्थानी को मान्यता देने से इनकार कर दिया. बाद में सदन का मान रखते हुए अंशुमान भाटी ने हिंदी में ही शपथ ग्रहण की.
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डूंगरराम, भीमराज और रवीन्द्र ने भी आसन से मांगी इजाजत :विधायकों के शपथ ग्रहण के दौरान कांग्रेस विधायक डूंगरराम गेदर ने भी राजस्थानी में शपथ लेने का आसान से आग्रह किया, उन्होंने कहा कि राजस्थान के स्कूल और कॉलेज में जब राजस्थानी पढ़ाई जाती है, तो फिर शपथ लेने में किसी तरह की आपत्ति क्यों है, उन्होंने साल 2003 को विधानसभा की ओर से राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए भेजे गए प्रस्ताव का भी हवाला दिया, पर आसन ने उन्हें हिन्दी में ही शपथ लेने का निर्देश दिया, डूंगरराम के बाद पाली से कांग्रेस विधायक भीमराज भाटी ने भी राजस्थानी में शपथ लेने की बात कही थी, उन्होंने कहा कि जब मैथिली भाषा में नोटिफाई नहीं होने के बाद भी शपथ ली जा सकती है, तो फिर राजस्थानी में क्यों शपथ नहीं ? भीमराज भाटी ने कहा कि जब लॉ मिनिस्ट्री ने इस बारे में संविधान की धारा 120 के तहत आज्ञा देने का प्रावधान रखा है, तो फिर उन्हें इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है. उसके बाद शिव से विधायक रवींद्र सिंह भाटी ने भी राजस्थानी भाषा में शपथ बोल दी, जिन्हें आसन पर बैठे किरोड़ी लाल मीणा ने कार्यवाही से हटाने के निर्देश देकर विधिसंवत भाषाओं में शपथ लेने की बात कही. इसके अलावा राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की मांग करने वालों में बाबू सिंह राठौड़ और प्रताप पुरी भी शामिल रहे.
प्रताप पुरी ने सदन से बाहर उठाई मांग :पोकरण से विधायक महंत प्रतापपुरी से विधानसभा के बाहर राजस्थानी भाषा की मान्यता से जुड़े सवाल पर कहा कि राजस्थानी हमारी मातृभाषा है, राजस्थानियों को इसकी संवैधानिक मान्यता मिलने पर गर्व होगा. उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में उनकी पार्टी का प्रयास रहेगा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा को भी मान्यता मिले, उन्होंने भरोसा जताया कि इस सिलसिले में उन्हें जल्द कामयाबी मिलेगी.