जयपुर. प्रदेश में पिछले दिनों मंदिर माफी की जमीन को लेकर पुजारियों की हत्या का मामला विधानसभा में गूंजा. विपक्ष ने पुजारी प्रोटेक्शन बिल लाने की मांग की. उन्होंने कहा कि जब मस्जिद और कब्रिस्तान के मामले सुलझाने के लिए वक्त बोर्ड बना हुआ है, तो फिर मंदिर और श्मशान के मामलों को निपटाने के लिए सरकार बोर्ड क्यों नहीं बना रही. इसके साथ ही विधानसभा में राज्य रोड टोल टैक्स बंद करने और बजरी के दामों में कमी लाने का मुद्दा भी शुक्रवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान उठा.
पुजारी प्रोटेक्शन बिल की मांग :विधानसभा में रामलाल शर्मा ने प्रदेश में पुजारियों के साथ जमीन को लेकर हो रहे विवाद और उनकी हत्या के मामले को उठाया. उन्होंने कहा कि करौली, जयपुर, राजसमंद सहित कई जिलों में जमीन विवाद के बीच कई पुजारियों को आत्महत्या करनी पड़ी. कई पुजारियों को खनन माफियाओं ने जिंदा जला दिया. इसका मुख्य कारण यही है कि मंदिर माफी जो जमीन है, वह बेशकीमती है और उस पर इन खनन माफियाओं की नजर है.
पढ़ें :Rajasthan Assembly: 10 मिनट पहले प्रश्नकाल खत्म, स्पीकर ने किया 'सदुपयोग'... नए सदस्यों को पढ़ाया अहम पाठ
इन जमीनों पर अतिक्रमण और कब्जा करने को लेकर यह घटनाएं हुई हैं. रामलाल शर्मा ने सदन में मांग उठाई कि जिस तरह से कब्रिस्तान और मस्जिद की जमीनों के विवादों के निस्तारण के लिए वक्त बोर्ड बनाया गया है, उसी तरीके से राजस्थान में भी मंदिरों और श्मशान की बेशकीमती जमीनों के विवाद के निस्तारण के लिए एक बोर्ड बने, ताकि विवाद का निस्तारण किया जा सके. रामलाल शर्मा ने कहा कि जब तक सरकार बोर्ड नहीं बना देती, तब तक पुजारी प्रोटक्शन बिल सरकार लेकर आए, ताकि मंदिरों की जमीनों और पुजारियों पर हमले को लेकर हो रही घटनाओं पर अंकुश लग सके.
टोल टैक्स खत्म हो : राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक नारायण बेनीवाल ने विधानसभा में राजस्थान राज्य टोल टैक्स का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति गाड़ी खरीदना चाहता है, वह 8 से 10 फीसदी तक रोड टैक्स जमा करता है. बावजूद इसके, उसे टोल टैक्स के रूप में भुगतान करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में जो सड़कें हैं, उनकी भी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह टोल लें. राज्य राजमार्ग को टोल मुक्त किया जाए.
इसके साथ ही उन्होंने बजरी की दरें और बजरी माफिया को हो रही घटनाओं पर भी अंकुश लगाने की मांग उठाई. बेनीवाल ने कहा कि बजरी की रॉयल्टी सारे खर्चे मिलाकर 50 से 52 रुपये है. उसके बावजूद भी 500 रुपये प्रति टन मोटी राशि वसूली जा रही है और इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही खामोश हैं. दोनों पार्टियों की जुगलबंदी है. बेनीवाल ने कहा कि आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वित्त विधेयक विनायक पर जब अपना जवाब दें, तब बजरी की दरों को कम करने का निर्णय लें.