जयपुर.जैसे जैसे टेक्नोलॉजी में बदलाव होते जा रहे हैं और नई नई चीजों का अविष्कार होता जा रहा है ठीक वैसे ही साइबर ठग भी खुद को नई टेक्नोलॉजी के अनुसार अपग्रेड करते जा रहे हैं. नए नए तरीकों के ये ठग लोगों को अपना शिकार बनाते जा रहे हैं. साइबर ठागों ने अब एक डिवाइस के जरिए लग्जरी गाड़ियों को निशाना बना रहे हैं. ये शातिर बड़े आराम से लग्जरी कार को बिना चाबी के अनलॉक कर चुराकर ले जाते हैं.
साइबर ठग डिवाइस के जरिए कर रहे वाहनों की चोरी हाल ही में ऐसे कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिससे में साइबर ठगों ने डिवाइस का प्रयोग कर कार को अनलॉक किया और कार के अंदर रखा हुआ सामान चुराया. राजस्थान में इस तरह के सबसे ज्यादा मामले सीकर जिले में देखने को मिले हैं. अब ऐसे में सवाल है कि आखिर इन शातिर ठगों से कैसे बचा जाए. हमने इन ठगों से निपटने के लिए साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज से बात की.
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठग डीप वेब और दूसरी वेबसाइट के माध्यम से रेडियो अटैक डिवाइस खरीदते हैं जो उन्हें दो से तीन लाख रुपए में बड़ी आसानी से मिल जाती है. इस डिवाइस के दो ऑपरेटिंग भाग होते हैं और इस डिवाइस का प्रयोग कर किसी भी लग्जरी कार को अनलॉक करने के लिए दो लोगों की आवश्यकता होती है. साइबर ठग सेंट्रल लॉकिंग-की के जरिए कार को लॉक अनलॉक करने पर जनरेट होने वाली फ्रीक्वेंसी को कैप्चर किया जाता है. कोड जनरेट कर डिवाइस के दूसरे भाग के जरिए बिना चाबी के कार को अनलॉक किया जाता है.
आरोपी इस डिवाइस का लेते हैं सहारा रेडियो तरंग को कैप्चर कर देते हैं वारदात को अंजाम...आयुष भारद्वाज कहते हैं कि कार को जिस स्मार्ट-की के जरिए लॉक और अनलॉक किया जाता है उस चाबी से एक रेडियो तरंग जनरेट होती है जो कार में लगी हुई डिवाइस से रीड करने पर ही कार लॉक और अनलॉक होती है. जो रेडियो तरंग जनरेट होती हैं वह एनक्रिप्टेड नहीं होती हैं जिसकी वजह से उन्हें रेडियो अटैक डिवाइस से आसानी से कैप्चर कर लिया जाता है. उसके बाद साइबर ठग बड़ी आसानी से उस डिवाइस का प्रयोग कर लग्जरी कार को लॉक और अनलॉक कर लेते हैं. जिन लग्जरी गाड़ियों में पुश स्टार्ट और स्टॉप बटन होता है उन्हें चुराकर फरार हो जाते हैं. साइबर ठगी हो तो क्या करें ? इस तरह से शातिर फ्रीक्वेंसी और कोड जनरेट करते हैं...साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज कहते हैं कि रेडियो अटैक डिवाइस को साइबर ठग बड़ी आसानी से ऑपरेट करते हैं उसे किसी जगह पर लगाने की आवश्यकता भी नहीं होती है. जैसे ही कोई व्यक्ति पार्किंग में लग्जरी कार को पार करने के बाद बाहर उतरता है और स्मार्ट चाबी के जरिए उसे लॉक करता है उसी दौरान कार के पास बैठक शातिर स्मार्ट-की की रेडियो फ्रीक्वेंसी को कैप्चर कर लेते हैं. ये भी पढ़ें:साइबर ठगी का शिकार होने पर तुरंत करें शिकायत, वापस मिल सकती है राशि
साइबर ठग इस फ्रीक्वेंसी को लैपटॉप या फिर इंफ्रारेड डिवाइज के माध्यम से उस कोड में तब्दील कर देते हैं जिस कोड के जरिए गाड़ी में लगी हुई डिवाइस कार को लॉक और अनलॉक करती है. इस दौरान गाड़ी का मालिक स्मार्ट-की अपने पास होने की वजह से निश्चिंत होता है. इधर, साइबर ठग उसकी गाड़ी को डिवाइस के माध्यम से अनलॉक करके फरार हो जाते हैं.
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ठगों से बचने के लिए एडिशनल सेफ्टी फीचर्स का करें प्रयोग...
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज कहते हैं कि साइबर ठगों के जरिए डिवाइस का इस्तेमाल कर कार को अनलॉक कर चोरी की घटना से बचने के लिए एडिशनल सेफ्टी फीचर्स का उपयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए कार मालिक स्टेरिंग क्लच लॉक का इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसा करने पर अगर डिवाइस का इस्तेमाल कर साइबर ठग कार को अनलॉक भी कर लेते हैं तो वह कार को चुराकर नहीं ले जा सकते. शर्मा ने कहा कि जितनी भी ऑटोमोबाइल कंपनी है जो अपनी गाड़ियों में सेंट्रल लॉकिंग का इस्तेमाल करती हैं उन्हें सेंट्रल लॉकिंग की रेडियो फ्रिकवेंसी को एनक्रिप्ट करके ही यूजर को स्मार्ट-की देनी चाहिए.