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Published : Dec 30, 2022, 8:58 PM IST

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द्रव्यवती नदी में गंदगी और अव्यवस्थाओं को लेकर जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट से मांगा जवाब

द्रव्यवती नदी में फैली गंदगी को लेकर जिले की स्थाई लोक अदालत ने जेडीए सचिव और टाटा प्रोजेक्ट के मैनेजर को 30 जनवरी तक जवाब देने को कहा (Lok Adalat on Dravyavati River) है. एक परिवादी के प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने ये आदेश दिए हैं.

Court sought reply from JDA and Tata project for garbage in Dravyavati river
द्रव्यवती नदी में गंदगी और अव्यवस्थाओं को लेकर जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट से मांगा जवाब

जयपुर. जिले की स्थाई लोक अदालत ने द्रव्यवती नदी में गंदगी व अव्यवस्थाओं से जुड़े मामले में जेडीए सचिव व टाटा प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट मैनेजर से 30 जनवरी तक जवाब देने के लिए कहा (Court sought reply from JDA and Tata project) है. लोक अदालत ने यह आदेश ओमप्रकाश सैनी के प्रार्थना पत्र पर दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा कि अमानीशाह नाले की साफ-सफाई व उसे सुव्यवस्थित करने के लिए टाटा प्रोजेक्ट को द्रव्यवती रिवर प्रोजेक्ट का काम दिया था. प्रोजेक्ट के तहत नाले को पक्का कर उसकी नियमित साफ-सफाई करने और वहां पर गंदगी नहीं होने की जिम्मेदारी दी गई थी. प्रार्थना पत्र में कहा गया कि गत 10 नवंबर को प्रार्थी परिवार सहित द्रव्यवती नदी को देखने गया, उन्हें वहां जगह-जगह गंदगी मिली. नदी से निकाले कचरे को भी वहीं पटका हुआ था. जबकि प्रोजेक्ट के अनुसार नदी में बहने वाले पानी को ट्रीट कर साफ करना था.

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नदी के पानी में भयंकर बदबू व गंदगी से परिवादी की तबीयत खराब हो गई. गंदगी के कारण समीप के लोगों व यहां घूमने आने वालों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है. जेडीए व टाटा प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी है कि वे नदी को साफ-सुथरा रखें, उसमें गंदगी नहीं होने दें, लेकिन दोनों की लापरवाही के चलते द्रव्यवती नदी में गंदगी के ढेर लगे हुए हैं. इसलिए अदालत जेडीए व टाटा प्रोजेक्ट को निर्देश दिए दे कि वे नदी को साफ-सुथरा रखें और उसमें गंदगी नहीं होने दें. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट से जवाब तलब किया है.

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गौरतलब है कि द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट राजधानी का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जो शहर के बीच से होकर गुजरती है. 53 किलोमीटर की इस परियोजना में 6 किलोमीटर फॉरेस्ट है. जिसमें प्राकृतिक रूप से पानी चैनेलाइज हो रहा है. वहीं, आगे 47 किलोमीटर में इसे कृत्रिम रूप दिया गया है. हालांकि, अभी भी कुछ एरिया ऐसे हैं, जहां पेच फंसे हुए हैं. कुछ जगह नदी के दोनों तरफ अतिक्रमण की समस्या है, जिसकी वजह से वहां नदी चौड़ी नहीं की जा सकी है.

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