जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से नीट पीजी में प्राप्त रेंक के बजाए साक्षात्कार के आधार पर सीनियर रेजिडेंटशिप के लिए दी गई नियुक्तियों को गलत माना है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि इस संबंध में गत 12 जुलाई को जारी परिपत्र के विपरीत जाकर दी गई नियुक्तियों को नए सिरे से आवंटित किया जाए. वहीं अदालत ने कहा कि पीजी करने के बाद दो साल की सरकारी सेवा देने के बॉन्ड को लागू करने के लिए अभ्यर्थियों के दस्तावेज नहीं रोके जा सकते. यह दस्तावेज अभ्यर्थी की अमानत हैं.
इसके अलावा बॉन्ड में ऐसी कोई शर्त भी नहीं थी, जिससे अभ्यर्थी के वास्तविक दस्तावेज रोके जाएं. ऐसे में विभाग तीन सप्ताह में अभ्यर्थियों के दस्तावेज वापस (Court asked to return docs of aspirants) लौटाए. जस्टिस अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ निशांत गोपाल व अन्य की याचिकाओं पर दिए. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने शपथ पत्र पेश किया है कि अभ्यर्थियों को पात्रता अनुसार पद देने की कोशिश की जाएगी. ऐसे में इस बिन्दु पर याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया जा रहा है.
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर विधि अनुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है. याचिका में अधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने नीट पीजी-2019 में प्रवेश लिया था. इस दौरान राज्य सरकार ने उनसे पीजी पास करने के बाद दो साल सरकारी सेवा करने को लेकर 25 लाख का बॉन्ड भराया. वहीं सत्यापन के नाम पर उनके समस्त वास्तविक शैक्षणिक दस्तावेज भी जमा कर लिए.