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अशोक गहलोत ने खुद सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर उठाए सवाल, कहा- हमें शर्म आती है...

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद राजस्थान के सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाए हैं. गुरुवार को जयपुर में उन्होंने कहा कि हमें शर्म आती है कि हम सरकार में रह कर गलत काम कर रहे हैं.

Ashok Gehlot
दीक्षांत समारोह के दौरान अशोक गहलोत

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Published : Apr 13, 2023, 3:56 PM IST

अशोक गहलोत ने क्या कहा...

जयपुर. राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार स्वास्थ्य अधिकार कानून लेकर आई है. इस कानून को लेकर निजी चिकित्सक और सरकार के बीच लंबे समय तक टकराव की स्थिति रही. सवाल उठते रहे कि सरकार पहले अपने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करे. अब उन्हीं खामियों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है.

सीएम गहलोत ने शुक्रवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित जन स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में इस बात को स्वीकारा कि कई जगह पर स्टाफ की कमी होती है, जिसकी वजह से कुछ गलत काम करने पड़ते हैं. गहलोत ने नेशनल मेडिकल काउंसिल का हवाला देते हुए कहा कि कुछ नॉर्म्स बड़े अजीब बने हुए हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए एक जगह से दूसरी जगह फैकल्टी भेजनी पड़ती है. गहलोत ने कहा कि शर्म आती है कि हम सरकार में होने के बावजूद इस तरह के काम कर रहे हैं. सीएम गहलोत इस मौके पर राजस्थान में लागू हुए स्वास्थ्य के अधिकार कानून को लेकर भी खुलकर अपनी बात रखी और साफ कर दिया की OPS और RTH पूरी तरह सफल बना कर दिखाएंगे.

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सीएम गहलोत ने ली डॉक्टरों की चुटकी : दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने स्वास्थ्य का अधिकार कानून को लेकर पहले तो डॉक्टरों की चुटकी ली और कहा कि मैं देख रहा था कि परसादी लाल मीणा जो चिकित्सा मंत्री भी हैं, वह जब अन्य बातें कर रहे थे तब तो खूब तालियां बजाई जा रही थीं. लेकिन जैसे ही उन्होंने RTH को लेकर बोलना शुरू किया तो तालियां बजाना कम कर दी गईं. लेकिन आप सबको समझना होगा कि इस कानून में किसी भी तरह की निजी चिकित्सालय या डॉक्टर के खिलाफ कोई कड़े प्रावधान नहीं हैं. किसी को घबराने की जरूरत नहीं है.

यह कानून सिर्फ राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए है. सरकार हमेशा सोशल सिक्योरिटी की बात करती है और उसी दिशा में सरकार की ओर से उठाया गया कदम है. गहलोत ने कहा कि यह समझ से परे है कि दो-चार लोगों ने इस बिल को लेकर कुछ कह दिया और प्रदेश के सभी निजी चिकित्सक 16 दिन से ज्यादा हड़ताल पर चले गए. जबकि इसमें ऐसा कुछ है ही नहीं. अगर इस बिल को अच्छे से देखेंगे तो यह बिल सिर्फ और सिर्फ स्वास्थ्य में सुधार के लिए है. गहलोत ने आह्वान किया कि हम सब मिलकर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करेंगे.

OPS और RTH लागू होकर रहेगा : गहलोत ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पणगरिया पर निशाना साधते हुए कहा कि पणगरिया ने जिस तरह से OPS और RTH को गलत बताया वो ठीक नहीं है. जबकि वो राजस्थान के हैं, उन्हें ज्यादा बेहतर पता है. गहलोत ने कहा कि पणगरिया राजस्थान में ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम औरा RTH यानी राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ में आर्टिकल तक लिखा, लेकिन आप ये तय मानकर चलिए कि प्रदेश में OPS और RTH को कामयाब करके दिखाएंगे. राजस्थान देश का ऐसा एकमात्र राज्य है, जहां पर स्वास्थ्य का अधिकार कानून रूप में प्रदेश के हर नागरिक को मिला है. गहलोत ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कहा कि हम किसी भी कर्मचारी को शेयर मार्केट के भरोसे नहीं छोड़ सकते. हमने जो ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की है उसे केंद्र सरकार और अन्य राज्य की सरकारों को भी लागू करनी चाहिए.

हम गलत काम करते हैं, शर्म आती है :सीएम गहलोत ने नेशनल मेडिकल काउंसिल के निरीक्षण के दौरान की जाने वाली गड़बड़ियों पर खुल कर बोला. गहलोत ने कहा कि हमें शर्म आती है कि एनएमसी के निरीक्षण के दौरान हम फैकल्टी को इधर-उधर करते हैं. क्या ये सही है ?. एनएमसी के नियम बड़े अजीब तरह के बने हुए हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए कई बार गलत करना पड़ता है.

गहलोत ने कहा कि एनएमसी की टीम जब उदयपुर मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए आती है तो जयपुर से फैकल्टी को भेजना पड़ता है, ताकि वहां पर स्टाफ की कमी नहीं दिखे. बीकानेर में निरीक्षण के लिए आती है तो दूसरी जगह से, क्या ये सब ठीक है ? शर्म आती है कि सरकार खुद ऐसा काम करती है. गहलोत ने कहा कि जो खामियां हैं वो सामने आनी चाहिए. हमारे स्तर पर जो कमी है उसे हम पूरा करेंगे. वहीं, समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि मशीनों की निर्भरता पर कम काम करने पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि रेडिएशन का भी खतरा बढ़ता है. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं जरूरी हैं. चिकित्सा सेवा को सफल बनाने में एक डॉक्टर की बड़ी जिम्मेदारी होती है.

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