नई दिल्ली: राज्यसभा में सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प पेश किया है. साथ ही अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का संकल्प भी पेश किया है.
इस मामले पर ईटीवी भारत की टीम ने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से खास बातचीत की. उन्होंने कहा, 'आम भ्रांति ये है कि 370 के तहत कश्मीर को कोई स्पेशल स्टेटस दिया गया है. संविधान का भाग 21 जो है, उसके तहत तीन तरह के प्रावधान दिए गए हैं जिसमें ट्रांजेशनल, टेम्पररी और स्पेशल. इसके तहत कुछ राज्यों के स्पेशल प्रोविजन दिए गए हैं.'
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बताया, 'जम्मू-कश्मीर इस स्पेशल प्रोविजन में नहीं आता है. 370 का हेंडिग ही इस बात को दर्शाता है कि ये टेम्पररी स्टेटस दिया गया है. तो उसके अंतर्गत सरकार का संभवत: मानना था ये बदलाव किया जा सकता है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि 370 को खत्म नहीं किया जा रहा है. 370 का मूल भाग जो है '1' वो रहेगा, सिर्फ 2 और 3 को हटाया गया है.'
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से समझिए आर्टिकल 370 की हर बारीकी 'संविधान के हर आर्टिकल में हो सकता है अमेंडमेंट'
संविधान में अमेंडमेंट को लेकर उन्होंने कहा कि संविधान के हर आर्टिकल में अमेंडमेंट कर सकते हैं आर्टिकल 368 के अंतर्गत. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर कहा था कि जो बेसिक फीचर है उनको अफेक्ट किए बगैर संविधान के किसी भी आर्टिकल में अमेंडमेंट कर सकते हैं.
'35 A ऐसे भी हट जाएगा'
आर्टिकल 35 A हटाने को लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि स्वाभाविक है कि वो ऐसे भी हट जाएगा. हालांकि उसे ऐसे भी हटाया जा सकता है प्रेसिडेंशियल ऑर्डर के तहत जम्मू कश्मीर सरकार को जानकारी देकर.