जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में फैसलों की घड़ी नजदीक है. पार्टी को दिल्ली में हार के कारणों पर मंथन के बीच आलाकमान से नए नेता प्रतिपक्ष के नाम का इंतजार रहेगा. वहीं प्रदेश कांग्रेस के मुखिया को लेकर भी फैसले पर सबकी निगाहें रहेंगी. ऐसे में पार्टी का एक धड़ा नेता प्रतिपक्ष के रूप में गोविंद सिंह डोटासरा को देख रहा है, जो फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका में है. वहीं दूसरा धड़ा मान रहा है कि डोटासरा लोकसभा चुनाव तक पीसीसी की बागडोर को संभाल कर रखेंगे. यदि लोकसभा चुनाव से पहले डोटासरा की भूमिका में बदलाव आता है, तो फिर राजस्थान कांग्रेस में नए मुखिया को लेकर कतार में खड़े नेताओं की पंक्ति लंबी दिखने लगेगी.
दिल्ली तय करेगा डोटासरा की भूमिका: राजस्थान में शिकस्त के बाद कांग्रेस के बड़े फैसले अब दिल्ली में पार्टी हाईकमान की मर्जी से ही लिए जाने हैं. इन फैसलों में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल के अलावा प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा महत्वपूर्ण भूमिका में होंगे. तो सोनिया गांधी, मुकुल वासनिक और भूपेंद्र हुड्डा की रायशुमारी भी तवज्जो रखेगी. सरकार से बेदखल होने के बाद कांग्रेस के सामने अशोक गहलोत सरकार की लोकप्रिय योजनाओं का वजूद बचाना बड़ी चुनौती होगा. ऐसे में हाउस के फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा अगर डोटासरा को सौंप दिया जाता है, तो कांग्रेस विधायक दल के सचेतक के रूप में उनके पुराने अनुभव का फायदा निश्चित तौर पर पार्टी को मिलेगा.
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जाहिर है कि 21 विधायकों के दल का नेतृत्व करते हुए लगातार डोटासरा मुखर होकर वसुंधरा राजे सरकार के 80 फीसदी से ज्यादा विधायकों को सदन में चुनौती देते हुए देखे गए थे. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में गोविंद सिंह डोटासरा पार्टी की पहली च्वाइस हो सकते हैं. बीते दिनों विधायक दल की बैठक में आए पर्यवेक्षकों के सामने कांग्रेस विधायकों ने एक स्वर में नए नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के लिए अलाकमान को जिम्मेदारी सौंपी थी.