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किसानों के हित में मुख्यमंत्री का महत्वपूर्ण निर्णय, 3269 करोड़ की सिंचाई परियोजनाओं को दी स्वीकृति

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिंचाई परियोजनाओं के लिए 3269 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की (CM Gehlot approves Rs 3269 for irrigation projects) है. इस राशि से प्रदेश में सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण, जीर्णोद्धार किया जाएगा. साथ ही सेम से प्रभावित क्षेत्र को कृषि के लिए तैयार करने संबंधी काम किए जाएंगे.

CM Gehlot approves Rs 3269 for irrigation projects in Rajasthan
किसानों के हित में मुख्यमंत्री का महत्वपूर्ण निर्णय, 3269 करोड़ की सिंचाई परियोजनाओं को दी स्वीकृति

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Published : Nov 5, 2022, 8:25 PM IST

जयपुर.प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने किसानों के महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रदेश में 3269 करोड़ रुपए की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी (CM Gehlot approves Rs 3269 for irrigation projects) है. मुख्यमंत्री की मंजूरी से प्रदेश में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण, वर्तमान में संचालित सिंचाई परियोजनाओं का जीर्णोद्धार और सेम प्रभावित क्षेत्र को फिर कृषि योग्य बनाने संबंधी कार्य किये जा सकेंगे.

राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्संरचना परियोजना: सीएम गहलोत ने ‘राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्संरचना परियोजना’ के माध्यम से राज्य के रेगिस्तानी क्षेत्र में जल संसाधनों को संरक्षित एवं विकसित कर पेयजल एवं सिंचाई जल उपलब्ध कराने और 22831 हेक्टेयर सेम क्षेत्र को पुनः कृषि योग्य बनाने के लिए लगभग 3100 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया है. इसके अतिरिक्त प्रतापगढ़ जिले में करमोही नदी पर ढोलिया ग्राम सिंचाई परियोजना, डूंगरपुर जिले में सोम नदी पर भभराना ग्राम सिंचाई परियोजना, वनवासा ग्राम सिंचाई परियोजना के लिए 101.12 करोड़ रुपए का वित्तीय प्रावधान किया गया है.

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राज्य में भूजल पुनर्भरण के लिए बांसवाड़ा की गांगड़ तलाई तहसील में अनास नदी व दौसा जिले की लालसोट तहसील में मोरेल नदी पर एनिकट के निर्माण और बूंदी जिले में मेज नदी पर बने डबलाना एनिकट के जीर्णोद्धार के लिए 68.78 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दी गई है. बता दें कि मुख्यमंत्री की ओर से की गई विभिन्न बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन में यह स्वीकृति दी गई है. इस स्वीकृति से प्रदेश के विभिन्न जिलों में सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी. प्रदेश में जल का अपव्यय रूकने से सिंचित क्षेत्र में वृद्धि हो सकेगी, साथ ही भूजल पुनर्भरण होने से अधिकतम क्षेत्र को कृषि उपयोगी बनाया जा सकेगा.

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