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Flagship कार्यक्रम की सुस्ती से खफा CM गहलोत, प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान का करेंगे रिव्यू

प्रदेश में महात्मा गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) यानी 2 अक्टूबर से शुरू हुए प्रशासन गांव और शहरों के संग अभियान (Prashasan Shahron Aur Gaon Ke Sang Abhiyan) की सुस्त चाल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) काफी खफा हैं. इस सप्ताह वो प्रदेश के सभी संभागीय आयुक्त और कलेक्टर्स के साथ सीधा संवाद कर सकते हैं. पहले से ही अभियान का आम जनता को लाभ नहीं मिलने से नाराज सीएम गहलोत अब कलेक्टर्स और संभागीय आयुक्तों के साथ समीक्षा करेंगे.

CM Ashok Gehlot
Flagship कार्यक्रम की सुस्ती से खफा CM गहलोत

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Published : Nov 9, 2021, 11:47 AM IST

जयपुर:प्रदेश में महात्मा गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) यानी 2 अक्टूबर से शुरू हुए प्रशासन गांव और शहरों के संग अभियान (Prashasan Shahron Aur Gaon Ke Sang Abhiyan) की सुस्त चाल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) काफी खफा हैं. नाराज सीएम गहलोत अब कलेक्टर्स और संभागीय आयुक्तों के साथ समीक्षा करेंगे.

माना यह जा रहा है कि सबसे निचले स्तर पर बैठे कर्मचारी को कामकाज की जानकारी के अभाव में अभियान गति नही पकड़ पा रहा हैं, ऐसे में सीएम गहलोत ने इस बैठक में सभी जिला कलेक्टर और संभागीय आयुक्त को प्रशासन शहरों के संग और गांव के संग अभियान को किस तरह से गति दी जाए उस पर चर्चा करेंगे.

पढ़ें-VAT का Weight: दबाव में गहलोत सरकार, बदलाव के आसार

राजस्थान में भले विधानसभा चुनावों में अभी दो साल से जयादा का वक्त बचा हो , लेकिन प्रदेश की गहलोत सरकार अभी से ही चुनावी मुद्रा में है. यही वजह है सीएम अशोक गहलोत सरकार (CM Ashok Gehlot) के काम काज को लेकर जनता की नब्ज टटोल रहे हैं. 2 अक्टूबर से प्रशासन गांव और शहरों के संग अभियान की शुरुआत कर गहलोत सरकार आम जनता के बीच में है लेकिन अभियान सरकार की मंशा के अनुरूप गति नहीं पकड़ पा रहा है. पिछले 21 अक्टूबर हो हुई वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) में अभियान की इसी सुस्त चाल की वजह से सीएम गहलोत ने कई अधिकारियों पर नाराजगी भी जताई थी.

उसी बैठक में तय हो गया था कि दीपावली के बाद प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर्स और संभागीय आयुक्तों के साथ सीधा संवाद होगा. साथ ही अभियान का भी रिव्यू किया जाएगा. सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की परेशानी ये है कि सभी तरह के प्रयासों के बावजूद प्रशासन शहरों के संग और गांवों के संग अभियान (Prashasan Shahron Aur Gaon Ke Sang Abhiyan) गति नहीं पकड़ पा रहा है. शिविरों में जनता की समस्याओं का समाधान नहीं होने की शिकायतें लगातार मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच रही हैं, कांग्रेस के जनप्रतिनिधि भी लगातार इसकी शिकायतें मुख्यमंत्री से कर रहे हैं. खुद सीएम गहलोत (CM Gehlot) अभी दो से तीन दिन अभियान का निरीक्षण करेंगे. इसके बाद जो फीड बैक तैयार होगा उसी आधार पर सभी जिला कलेक्टर्स और संभागीय आयुक्तों से चर्चा करेंगे.

कानूनी अड़चनों को दूर करेंगे

अभियान में आ रही कानूनी अड़चनों की वजह से जनता को सीधा लाभ नहीं मिल रहा है. हाईकोर्ट ने पट्टे जारी करने पर रोक लगा दी थी , जबकि शहरों के संग अभियान (Prashasan Shahron Ke Sang Abhiyan) में सबसे ज्यादा आवेदन पट्टों को लेकर ही आते हैं. ऐसे में पिछली बैठक में सरकार ने निर्देश दिए थे कि कोर्ट के निर्देश दिए बिना जोनल प्लान के पट्टे दिए जाने पर रोक है. हालांकि जोनल प्लान के अलावा मास्टर प्लान भी है , जिसके तहत सरकार पट्टे जारी कर सकती है. तब सामने आया था कि निचले कर्मचारियों को इसकी जानकारी नहीं है, जिसकी वजह से वह कोर्ट का हवाला देकर पट्टे जारी नहीं कर रहे हैं. बैठक में सभी कलेक्टर को इस बात के निर्देश दिए गए थे कि वो मास्टर प्लान के तहत पट्टे जारी करें .

मुख्यमंत्री को भी उतरना पड़ा फील्ड में

प्रशासन गांवों के संग और शहरों के संग अभियान (Prashasan Shahron Aur Gaon Ke Sang Abhiyan) की जमीनी हकीकत जानने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खुद फील्ड में उतरना पड़ा है. मुख्यमंत्री गहलोत जहां आज (9 नवम्बर 2021) जोधपुर में प्रशासन शहरों के संग और गांवों के संग अभियान का जायजा लेंगे, तो इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने 22 अक्टूबर को नागौर और जयपुर में जायजा लिया था. 29 अक्टूबर को भी मुख्यमंत्री (CM Ashok Gehlot) ने चार जिलों का दौरा किया था. सीएम ने बीकानेर जिले की श्रीडूंगरगढ़, चूरू जिले की बीदासर, सीकर के फतेहपुर और जयपुर के शाहपुरा का दौरा कर शिविरों का जायजा लेकर कामकाज की रिपोर्ट ली थी.

कलेक्टरों की टेस्टिंग

इस सप्ताह होने वाली कलेक्टर और संभागीय आयुक्तों के साथ समीक्षा बैठक में माना जा रहा है कि अभियान की समीक्षा के साथ कलेक्टरों की टेस्टिंग भी संभव होगी. बैठक में इस बात का रिव्यू होगा कि क्या कलेक्टर सरकार की आम जनता को राहत देने की मंशा के अनुसार कार्य कर रहे हैं या नहीं. जानकारों की माने तो इस समीक्षा बैठक के बाद में कई अधिकारियों के ऊपर गाज भी गिर सकती है.

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