सीएम गहलोत का भाजपा पर बड़ा हमला, सुनिए... जयपुर.कर्नाटक विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक के तौर पर जिम्मेदारी संभालने के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहली बार बेंगलुरू पहुंचे. जहां उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है, क्योंकि ये लोग जो कहते हैं वो करते नहीं हैं. दरअसल, ये बातें सीएम गहलोत ने प्रेस वार्ता के दौरान कही. लेकिन इन सबके बीच सबकी निगाहें गहलोत के पीछे रखी खाली सिलेंडर पर रही. जिसके जरिए उन्होंने कनार्टक की जनता को राजस्थान मॉडल की तर्ज पर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर विकास किए जाने का वादा किया.
भाजपा पर बरसे गहलोत, लगाया ये आरोप - इस दौरान सीएम ने राजस्थान में 2020 में हुई सरकार गिराने की कोशिश का भी जिक्र किया. गहलोत ने यहां तक कह दिया कि भले ही भाजपा कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर, महाराष्ट्र में हॉर्स ट्रेडिंग कर सरकार गिराने में कामयाब रही हो, लेकिन राजस्थान में उनकी एक न चली और वो पूरी तरह से विफल हो गए. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में सरकार गिराने के लिए भाजपा ने जो करोड़ों रुपए का इन्वेस्टमेंट किया था, वो पैसा भी उनका डूब गया. आगे उन्होंने कहा कि वो पैसा न तो नेताओं ने लौटाया है और न ही लौटाएंगे.
पीएम मोदी और शाह को बताया चुनावी नेता - गहलोत ने कहा कि भाजपा की सरकार बदनाम और घबराई हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भयभीत हैं. यही वजह है ये दोनों नेता सब काम छोड़कर कर्नाटक चुनाव लग गए हैं. जैसे गुजरात और उत्तर प्रदेश में लगे थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामने पूरे देश की समस्या होती है. लेकिन मौजूदा पीएम और होम मिनिस्टर केवल चुनाव जीतने की जुगत में लगे रहते हैं. चाहे वो नगर निगम का चुनाव ही क्यों न हो? गहलोत यही नहीं रुके आगे उन्होंने कहा कि भाजपा का देश में नया मॉडल ऑफ गवर्नमेंट शुरू हो गया है. यानी ये लोग चुनी हुई सरकारों को हॉर्स ट्रेडिंग करके गिराने में विश्वास करते हैं. जैसा कि कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में देखने को मिला था, लेकिन ये राजस्थान में पूरी ताकत लगाने के बाद भी सफल नहीं हो सके थे.
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कर्नाटक में भाजपा की पराजय जरूरी -वहीं, गहलोत ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस का जीतना केवल कर्नाटक वासियों के हित में नहीं, बल्कि राष्ट्रहित में भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में एक राज्य में चुनाव जीतते हैं तो पार्टी पूरे देश में मैसेज देती है. ऐसे में उन्हें पूरी उम्मीद है कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. जिसका मैसेज पूरे देश में जाएगा. गहलोत ने कहा कि भले ही भाजपा कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा कर रही है.
ओपीएस योजना पर बोले गहलोत -गहलोत सरकार की सरकारी कर्मचारियों की पेंशन के लिए लागू की गई ओपीएस योजना को लेकर कर्नाटक में सवाल खड़े हो रहे हैं. जिस पर सीएम गहलोत ने कहा कि हिमाचल में भी इन लोगों ने कहा था कि राजस्थान में ओपीएस लागू नहीं हुई है. जिसके चलते हिमाचल प्रदेश में भी उन्हें जाकर लोगों को बताना पड़ा था. उन्होंने कहा कि राजस्थान में केवल औपीएस लागू नहीं हुआ, बल्कि सरकारी कर्मचारियों को पैसा भी मिलना शुरू हो चुका है. भाजपा के लोग भ्रम फैलाते हैं. ये इनकी फितरत है.
अन्ना के आंदोलन को बताया आरएसएस स्पॉन्सर - गहलोत ने भाजपा पर चुनावी वादे पूरे नहीं करने के आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा केवल वादे करती हैं, न की उन वादों को निभाती है. गोवा और यूपी में इन्होंने वादा किया था कि होली और दिवाली में सिलेंडर देंगे. वो वादा भी नहीं निभाए और अब वादा कर रहे हैं कि कर्नाटक में 3 सिलेंडर देंगे. उन पर भरोसा कौन करेगा? सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो 2014 में वादे किए थे और 2G स्पेक्ट्रम, कोलगेट, लोकपाल जैसे आरोप लगाए थे वो एक स्पॉन्सर खेल था. साथ ही केजरीवाल और अन्ना हजारे के आंदोलन को उन्होंने आरएसएस स्पॉन्सर करार दिया और कहा कि तब यूपीए सरकार को बदनाम करने के लिए ये सारा खेल खेला गया था.
अमर्यादित टिप्पणियों पर बोले गहलोत - जहां एक और बयानबाजी के चलते राहुल गांधी को अपनी संसद सदस्यता खोनी पड़ी है तो वहीं अब कर्नाटक चुनाव में भी नेताओं की ओर से अमर्यादित टिप्पणियां की जा रही हैं. सोनिया गांधी को लेकर की गई अमर्यादित टिप्पणी पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ऐसे शब्दों के प्रयोग से एक प्रधानमंत्री की गरिमा गिरी है. पीएम को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. गहलोत ने कहा कि आडवाणी और वाजपेई ने 70 साल में क्या-क्या नहीं कहा होगा? कभी कोई डिफेमेशन का केस नहीं हुआ.
ये तो केवल एक पॉलिटिकल लैंग्वेज होती है, जब तक कि आप किसी पर व्यक्तिगत घटिया बात न करो, तब तक वो पॉलिटिकल लैंग्वेज में आता है. राहुल गांधी का मकसद भी वहीं था. उन्होंने मोदी का नाम इसलिए लिया, क्योकि पीएम मोदी के समय में ही नीरव मोदी भागा था. लेकिन राहुल गांधी पर हाईकोर्ट में केस किया गया. पहली बार ऐसा हुआ कि कोई मेंबर अपने आरोपों पर सफाई देना चाहे और उसे अलाउ नहीं किया गया. खैर, यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा.