जयपुर. पिछले एक सप्ताह से राजधानी जयपुर में चल रहे शहीदों की वीरांगनाओं का धरना 8वें दिन भी जारी है. हालांकि, कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और शकुंतला रावत ने समझाइश कर धरना समाप्त कराने की कोशिश की, लेकिन वीरांगनाएं अपनी मांग पर अड़ी हुई हैं. वीरांगनाओं की मांग पर अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा बयान दिया हैं. गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा, हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम शहीदों एवं उनके परिवारों करें सम्मान करें. राजस्थान का हर नागरिक शहीदों के सम्मान का अपना कर्तव्य निभाता है. लेकिन बीजेपी के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं. ये परम्परा राजस्थान की नहीं है. मैं इसकी निंदा करता हूं.
गलत परम्परा कैसे संभव : सीएम अशोक गहलोत ने कहा, शहीद हेमराज मीणा की पत्नी उनकी तीसरी मूर्ति एक चौराहे पर स्थापित करवाना चाहती हैं, जबकि पूर्व में शहीद की दो मूर्तियां राजकीय महाविद्यालय, सांगोद के प्रांगण ओर उनके पैतृक गांव विनोद कलां स्थित पार्क में स्थापित की जा चुकी हैं. ऐसी मांग अन्य शहीद परिवारों के लिहाज से उचित नहीं है. शहीद रोहिताश लांबा की धर्मपत्नी चाहती हैं कि उनके देवर को अनुकम्पा नियुक्ति मिल जाए. यदि आज शहीद लांबा के भाई को नौकरी दे दी जाती है तो आगे सभी वीरांगनाओं के परिजन या रिश्तेदार उनके बच्चे के हक की नौकरी अन्य परिवार वालों को देने का अनुचित सामाजिक और पारिवारिक दबाव डालने लग सकते हैं. उन्होंने कहा कि क्या वीरांगनाओं के लिए मुश्किल खड़ी करनी चाहिए, क्योंकि अभी बनाए गए नियम पिछले अनुभवों पर ही बने हैं. गहलोत बोले कि शहीदों के बच्चों का हक किसी अन्य रिश्तेदार को देना कैसे सही हो सकता है ? जब वो बच्चे बड़े होंगे तो उनका क्या होगा ?.
शहीद के बच्चों हक नहीं मार सकते : सीएम गहलोत ने कहा कि साल 1999 में मुख्यमंत्री के रूप में मेरे पहले कार्यकाल के दौरान शहीदों के आश्रितों के लिए राज्य सरकार ने कारगिल पैकेज जारी किया. साथ ही समय-समय पर इसमें बढ़ोत्तरी कर इसे प्रभावशाली बनाया गया. सीएम ने कहा कि कारगिल पैकेज में शहीदों की पत्नी को पच्चीस लाख रुपए और 25 बीघा भूमि या हाउसिंग बोर्ड का मकान (भूमि या मकान ना लेने पर पच्चीस लाख एक्सट्रा), मंथली इनकम प्लान में माता-पिता के लिए 5 लाख का फिक्स डिपोजिट. साथ ही एक सार्वजनिक स्थान का नामकरण शहीद के नाम पर और शहीद की पत्नी या उसके पुत्र/ पुत्री को नौकरी दी जाती है. राजस्थान सरकार ने प्रावधान किया है कि यदि शहादत के वक्त वीरांगना गर्भवती है ओर वो नौकरी नहीं करना चाहे तो गर्भस्थ शिशु के लिए नौकरी सुरक्षित रखी जाएगी, जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो सके. इसके अनुसार पुलवामा में हुए शहीद के परिजनों को मदद मिल चुकी है . उन्होंने कहा कि शहीद परिवारों के लिए ऐसा पैकेज अन्य किसी राज्य में नहीं है.