हैदराबाद. ये राजस्थान का सदन था और वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदन था. 12 फरवरी का दिन था और साल 2011. इस दिन भारतीय विदेश मंत्री कृष्णा अपने पुर्तगाली समकक्ष की स्पीच पढ़ गए. अंदाजा भी लोगों को कुछ देर बाद हुआ. तब इन्हें भारत के प्रतिनिधि हरदीप पुरी ने अवगत कराया. तब तक वो तीसरे पैराग्राफ पर पहुंच गए थे. इसके बाद मंत्री ने इस भूल को सुधार लिया.
क्या हुआ था?- दरअसल, UNSC में सुरक्षा और विकास पर बहस आयोजित हुई थी. गलती से कृष्णा करीब तीन मिनट तक पुर्तगाल के विदेश मंत्री का बयान पढ़ते चले गए तभी संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत हरदीप सिंह पुरी ने उनका ध्यानाकर्षित कराया और भूल को सुधारा गया. तब तक कृष्णा पुर्तगाली विदेश मंत्री लुइस अमाडो का बयान काफी हद तक पढ़ चुके थे. खास बात ये रही कि उन्हें अपनी गलती का एहसास भी नहीं हुआ. इसकी अहम वजह बयान का शुरूआती भाग में कुछ भी मुद्दे से हटकर न रहना था. मैटर संयुक्त राष्ट्र, विकास और सुरक्षा से संबंधित सामान्य मुद्दों पर केंद्रित था हालांकि कुछ पंक्तियां थोड़ी अलग थीं.
इस पंक्ति पर गया ध्यान- इस भाषण में से एक पंक्ति थी- ‘पुर्तगाली भाषा बोलने वाले दो देशों, ब्राजील और पुर्तगाल के यहां एक साथ होने के सुखद संयोग को देखते हुए मुझे गहरा संतोष जाहिर करने की इजाजत दीजिए’ कृष्णा को इसमें कुछ अटपटा नहीं लगा क्योंकि तब उसी दौरान ब्राजील ने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता की थी.