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जयपुर: शिक्षा में अव्यवस्थाओं को लेकर मूकबधिर बच्चों का प्रदर्शन, शिक्षा संकुल से मिला आश्वासन - मूकबधिर बच्चों का प्रदर्शन

साल 2014 में कांग्रेस सरकार ने मूकबधिर बच्चों के लिए कॉलेज की शुरुआत की थी. जिसमें कई तरह के कोर्स कराए जाते हैं. शुरुआत में कॉलेज बहुत अच्छे से चले लेकन अब हालात ये है कि फैकल्टी और क्लास रूम को लेकर बच्चों को परेशानी उठानी पड़ रही है. इसे लेकर विद्यार्थियों ने शुक्रवार को विरोध-प्रदर्शन किया और शिक्षा संकुल में जाकर अधिकारियों से बातचीत की.

जयपुर की खबर, lack of education facilities
प्रदर्शन करते हुए मूकबधिर बच्चे

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Published : Jan 24, 2020, 9:21 PM IST

जयपुर. मूकबधिर बच्चे एक बार फिर आंदोलन की राह पर उतर चुके है. गांधीनगर स्थित पोद्दार मूकबधिर कॉलेज के विद्यार्थियों ने कक्षाएं नियमित नहीं लगने, शिक्षकों की कमी होने, कौशल विकास कक्षाओं में शामिल करने, पुराने शिक्षकों को लगाने सहित अन्य मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन किया.

फैकल्टी और क्लास रूम में बदलाव के लिए मूकबधिर बच्चों ने किया प्रदर्शन

इसपर कॉलेज प्राचार्य डॉ. पुष्पा पारिक का कहना है कि शिक्षकों की कमी को लेकर कॉलेज आयुक्तलय को पत्र भेज दिया गया है. वहीं,अगर बात की जाए नियमित कक्षाओं की तो यहां पर नियमित कक्षाएं लगाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति विज्ञान की फैकल्टी की कमी है.

ईटीवी भारत ने दुभाषिए कमलेश के जरिए इन बच्चों की पीड़ा को समझा. जिसमें बच्चों ने साइन लैंग्वेज में अपनी बात कही और दुभाषिए कमलेश ने उनकी लैंग्वेज का ट्रांसलेशन किया. कमलेश ने बताया कि विद्यार्थी शिक्षकों की कमी, पुराने शिक्षकों को लगाने और नियमित कक्षाएं चलने को लेकर विरोध जाता रहे हैं. बता दें कि बच्चों ने शिक्षा संकुल में जाकर दुभाषिए के जरिये अधिकारियों से बातचीत की जहां पर उनको आश्वासन दिया गया.

दरअसल, 2014 में कांग्रेस सरकार ने मूकबधिर बच्चों को ग्रेजुएट बनाने के लिए पोद्दार कॉलेज की शुरुवात की थी. कॉलेज में सामान्य के साथ मूकबधिर बच्चों की भी अलग से क्लास लगती है. इसमें नॉर्मल बच्चों के लिए बीए, बीकॉम, बीएससी कोर्स की शुरुआत की गई थी.

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फिलहाल कॉलेज में 1200 से अधिक स्टूडेंट्स हैं. वहीं मूकबधिर बच्चों के लिए बीए कोर्स शुरू किया गया जिसमें करीब 300 स्टूडेंट है. प्रदेश का पहला कॉलेज होने की वजह से इसमें देश के हर राज्य से स्टूडेंट्स हैं. लेकिन, अक्टूबर 2019 के बाद इन स्टूडेंट्स का एजुकेशन और करियर दांव पर लग गया है. पिछले कुछ महीनों से कॉलेज में फैकल्टी और क्लास रूम नहीं होने की वजह से पढ़ाई के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है.

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