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Published : Feb 19, 2023, 10:43 PM IST

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कोरोना में अपने अभिभावकों को खोने वाले बच्चे RTE में होंगे शामिल, जानें आगे क्या है तैयारी

कोरोना काल में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को राइट टू एजुकेशन में शामिल करने की कवायद तेज हो गई है. जिसको लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश (school education suffer due to corona) दिए हैं.

school education suffer due to corona
school education suffer due to corona

मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी सुभाष यादव

जयपुर.प्रदेश में अप्रैल 2020 से जनवरी 2022 तक 6 हजार 827 बच्चों ने कोरोना से अपने माता-पिता को खोया है. इनमें 6 हजार 98 बच्चे ऐसे थे, जिन्होंने माता या पिता में से किसी एक को खोया. जबकि 711 बच्चे ऐसे थे, जिनके सिर से माता-पिता दोनों का ही साया उठ गया. ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को आरटीई यानी राइट टू एजुकेशन में शामिल करने की कवायद चल रही है.

कोरोना ने कई घरों को उजाड़ दिया. हजारों बेरोजगार हो गए तो सैकड़ों को शिक्षा से दूर कर दिया. इन लोगों के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाएं लागू की, लेकिन अभी भी कई लोग इससे महरूम हैं. हालांकि, अब राजस्थान के शिक्षा महकमे ने उन बच्चों की सुध लेना शुरू किया है, जो कोरोना के चलते स्कूलों से ड्रॉप आउट हो गए. ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की या दोनों की कोरोना से मौत हो गई, उनकी प्रारंभिक शिक्षा का खर्च शिक्षा विभाग उठाएगा. यही नहीं जो छात्र निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं, उन्हें भी भारी-भरकम फीस से निजात मिलेगी. ऐसे छात्रों को आरटीई के तहत नि:शुल्क शिक्षा से जोड़ा जाएगा.

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस संबंध में राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं. मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी सुभाष यादव के बताया कि बाल आयोग ने निर्देश दिए हैं कि 14 साल की आयु तक के वो बच्चे जो किसी भी विद्यालय में पंजीकृत थे, लेकिन कोरोना से माता-पिता की मौत के कारण स्कूल नहीं जा पाए, उन्हें ड्रॉप आउट मानकर शिक्षा से जोड़ा जाए. इसके साथ ही जिला बाल सरंक्षण अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है कि वो ऐसे बच्चों को नियमानुसार आय का सर्टिफिकेट बनवाने में मदद करें. ताकि उन्हें आरटीई के तहत नि:शुल्क शिक्षा मिल सके.

वहीं, प्रारंभिक शिक्षा जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश मीणा ने बताया कि अप्रैल 2020 के बाद कोरोना के कारण माता-पिता को खोने वाले जिले में ऐसे एक हजार 529 छात्र हैं, जिनकी सूची बाल संरक्षण आयोग से प्राप्त हुई है. साथ ही उन्होंने बताया कि अब इसकी जांच की जा रही है कि इनमें से कौन से छात्र स्कूल में शिक्षा ले रहे हैं, वो किस स्कूल में अध्ययनरत हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे बच्चों से संबंधित डाटा बाल स्वराज पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए थे. ऐसे बच्चे जिनकी जानकारी अब तक राज्य सरकार ने पोर्टल पर अपलोड नहीं की है, उनकी जानकारी भी नियमित रूप से बाल स्वराज पोर्टल पर अपलोड करने को अनिवार्य कर दिया गया है.

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