जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को डूंगरपुर-बांसवाड़ा में बच्चे गिरवी रखने का मामला उठाया गया. बीटीपी विधायक राजकुमार रोत ने विधानसभा में मामला उठाते हुए कहा कि राजस्थान को शर्मसार करने वाली यह घटना है कि बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ में आदिवासी बच्चों को 10 रूपए के स्टांप पेपर पर गिरवी रखा जाता है.
डूंगरपुर-बांसवाड़ा में आज भी 10 रुपए के स्टांप पेपर पर गिरवी रखे जाते हैं बच्चे, सदन में उठा मामला
राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को डूंगरपुर-बांसवाड़ा में बच्चे गिरवी रखने का मामला बीटीपी विधायक राजकुमार रोड ने उठाया. इस पर नेताप्रतिक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि राजस्थान के लिए इससे शर्मनाक बात नहीं हो सकती. कटारिया ने कहा कि राजस्थान सरकार इसके लिए कोई ठोस कदम उठाए और इसके खिलाफ सख्त कानून बनाए.
बीटीपी विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि 60 से 65 गांव ऐसे हैं, जहां 8 से 16 साल का एक भी बच्चा नहीं है. यह राजस्थान के लिए शर्मसार करने वाली घटना है. रोत ने कहा कि अगर बच्चे गिरवी रखे जा रहे हैं, तो उन बच्चों का आंगनबाड़ी जैसी जगहों पर नामांकन क्यों है. जबकि, बच्चे गडरिया के पास गिरवी रखे हुए हैं.
वहीं, इस मामले पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस घटना से राजस्थान के बारे में एक गलत मैसेज गया है, कि 70 साल के बाद भी परिवार चलाने के लिए मजबूरी में मासूम बच्चों को राजस्थान में गिरवी रखा जा रहा है. यह घटना राजस्थान के ऊपर एक धब्बा है. कटारिया ने कहा इसके खिलाफ सख्त कानून बनाया जाना चाहिए, जिससे कि गिरवी रखने वाला डरें. कटारिया ने कहा कि गुजरात के भट्टों में या फिर होटलों में छोटे बच्चे बर्तन धोते हुए हर किसी को दिख जाते हैं. ऐसे में 14 साल से नीचे के बच्चे कहीं भी काम करते पाए जाएं, तो सख्ती से उनसे निपटना चाहिए, तभी इस बड़ी मानवीय समस्या का हल निकाला जा सकता है. इस घटना से राजस्थान की बदनामी हुई है. लोग कल्पना भी नहीं कर सकते कि 70 साल आजादी को होने के बाद भी मां-बाप अपने बच्चों को गिरवी भी रख सकते हैं.