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कितना सटीक बैठेगा कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का निशाना...सामने हैं ये चुनौतियां - राजस्थान

भाजपा ने राठौड़ के नाम की घोषणा पहली ही सूची में कर दी थी जबकि कांग्रेस ने इसी सोमवार को जारी की अपनी सूची में कृष्णा पूनिया के नाम की घोषणा की है.

कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के सामने कृष्णा पूनिया है मैदान में

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Published : Apr 3, 2019, 4:53 PM IST

जयपुर.राजस्थान की नवनिर्मित सीट जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. क्योंकि इस सीट पर मुकाबला देश के दो दिग्गज पूर्व खिलाड़ियों के बीच है. भाजपा की ओर से सांसद और केंद्रीय मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ मैदान में हैं और कांग्रेस की ओर से पूर्व एथलीट कृष्णा पूनिया.

भाजपा ने राठौड़ के नाम की घोषणा पहली ही सूची में कर दी थी जबकि कांग्रेस ने इसी सोमवार को जारी की अपनी सूची में कृष्णा पूनिया के नाम की घोषणा की है. इस नाम के आते ही अब इस सीट पर हार-जीत की चर्चा शुरू हो गई है. लोकसभा चुनाव 2008 में नवनिर्मित जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से पहली बार सांसद के रूप कांग्रेस के लालचंद कटारिया चुनाव जीते थे. पिछले लोकसभा चुनाव में सीपी जोशी यहां से प्रत्याशी थे लेकिन खेल जगत से पहली बार चुनावी मैदान में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने ऐसा निशाना लगाया कि सीपी जोशी को चारों खाने चित कर दिया.

पहली बार में ही जीत का परचम लहराने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मोदी सरकार ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया. इससे राजनीति में उनका कद और बढ़ गया. इसके बाद से कांग्रेस के सामने मुश्किलें इस बात की हो गई थी कि राठौड़ जैसे चर्चित चेहरे के सामने किसे प्रत्याशी बनाया जाए. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने अपना दांव खेलते हुए सादुलपुर से पहली बार विधायक बनीं पूर्व एथलीट कृष्णा पूनिया को टिकट दिया है. इस सीट पर पहली बार दो अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे उम्मीदवार आमने-सामने हैं. दोनों ही प्रत्याशी युवाओं के बीच चर्चित हैं.

कृष्णा पूनिया के चुनावी मैदान में आने से अब कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की मुश्किलें बढ़ गई हैं. राठौड़ के सामने क्या-क्या चुनौतियां है आइए जानते हैं...

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के सामने इस बार भारी चुनौतियां
  • जातीय समीकरणों का आधार नहीं तथा जिन मुद्दों के साथ 2014 में चुनाव लड़ा था उनको पूर्ण रूप से धरातल पर नहीं उतर पाए.
  • नेशनल हाईवे-8 जो कि काफी चर्चा में रहा है. कर्नल ने कहा था कि मैं नेशनल हाईवे-8 को सर का ताज बना लूंगा. लेकिन जिस प्रकार से काम हुआ और हो रहा है उसे आमजन आहत महसूस कर रहा है.
  • पार्टी की स्थिति कमजोर. जयपुर ग्रामीण में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिनमें से 5 पर कांग्रेस का कब्जा है, एक निर्दलीय जो की कांग्रेस के समर्थन में है वहीं दो पर भाजपा है. ऐसे में यहां कांग्रेस का वोट बैंक मजबूत हुआ है.
  • जातिगत राजनीति करने का है आरोप, किसानों के मुद्दे से रहे परे.
  • सांसद कोष की पूरी राशि का उपयोग नहीं किया, लेकिन पूरे 5 साल क्षेत्र में सक्रिय रहे.
  • विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण से जातिय विशेष के लोगों में नाराजगी, इसको लेकर पार्टी के झंडे भी फूंके गए और कर्नल मुर्दाबाद के नारे भी लगे.

क्या है जातिगत समीकरण
जयपुर ग्रामीण में कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें कोटपूतली, विराट नगर, शाहपुरा, फुलेरा, झोटवाड़ा, आमेर, जमवारामगढ़ तथा बानसूर विधानसभा सीट आती है. यहां मतदाता 19 लाख 33 हजार 331 हैं. बात अगर 2014 की की जाए तो कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांग्रेस के डॉक्टर सीपी जोशी को 3 लाख 32 हजार 896 मतों से पटखनी दी थी. पूरी लोकसभा सीट में जाट मतदाता लगभग साढे चार लाख, यादव साढ़े तीन लाख, ब्राह्मण तीन लाख, वैश्य ढाई लाख, राजपूत डेढ़ लाख और एससी-एसटी के रूप में चार लाख मतदाता हैं.

कृष्णा पूनिया की मजबूती के आधार
जयपुर ग्रामीण की 8 में से 5 विधानसभा में कांग्रेस का परचम है. एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन कांग्रेस को मिल चुका है. पार्टी के लिहाज से ग्रामीण लोकसभा में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है. दूसरा जीती हुई विधानसभाओं में पार्टी की मजबूत स्थिति से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश है. वहीं जातिगत समीकरणों में भी कृष्णा पूनिया के लिए मजबूती का आधार बन सकते हैं.

क्या रहेंगे पूनिया के सामने चुनावी मुद्दे

  • रामगढ़ बांध में पानी समेत विकास से जुड़े कई मुद्दे.
  • संपूर्ण लोकसभा क्षेत्र का विकास करवाना .
  • पहली बार सांसद के रूप में चुनाव लड़ना तथा महिला होना.
  • नेशनल हाइवे के काम मे तेजी लाना.

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