राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Chaitra Navratri 2023: सर्वार्थसिद्धि योग में नौका पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, 22 मार्च से 30 मार्च तक नवरात्र

चैत्र नवरात्र बुधवार से शुरू हो रहे हैं. 22 मार्च से नवरात्र शुरू होकर 30 मार्च तक चलेंगे. इस दौरान शक्ति की भक्ति की जाएगी. व्रत, पूजन, उपवास और अनुष्ठान किए जाएंगे. इस वर्ष चैत्र नवरात्र पर माता का वाहन नाव होगा.

Chaitra Navratri 2023
Chaitra Navratri 2023

By

Published : Mar 21, 2023, 11:26 AM IST

जयपुर.कहते हैं कि मां जिस वाहन पर सवार होकर धरती पर आती हैं उसके निहितार्थ होते हैं. जिस दिन प्रतिपदा तिथि पड़ती है उसके हिसाब सेभी किस वाहन को मां चुनेंगे ये डिसाइड होता है.चैत्र नवरात्र बुधवार से शुरू हो रहे हैं. इस वर्ष चैत्र नवरात्र पर माता का वाहन नाव होगा. इसलिए देश में खुशहाली और समृद्धि का सर्वश्रेष्ठ योग रहेगा. चैत्र नवरात्र के पहले दिन बन रहे शुभ योग में घटस्थापना लाभदायक और उन्नतिकारक रहेगा.

नवरात्र के पहले दिन बुधवार और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा. शुक्ल, ब्रह्मयोग भी इस दिन बनेगा. इन संयोगों के बीच धर्मध्यान और अनुष्ठान विशेष रहेंगे. ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार शेष नवरात्र में भी विशेष योग बन रहे हैं. 23, 27 और 30 मार्च को सर्वार्थसिद्धि योग, जबकि 27 और 30 मार्च को अमृत सिद्धि योग भी रहेगा. इसी दौरान 24 मार्च को रवि योग रहेगा.

तिथि अनुसार बीज मंत्र

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा बुधवार को सूर्योदय 6:33 बजे होगा और मीन लग्न सुबह 7:40 बजे तक रहेगा. ऐसे में घट स्थापना कर नवरात्र शुरू करने का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा. इसके बाद मिथुन लग्न में दिन के 11:14 से 12:00 बजे तक भी घट स्थापना की जा सकती है. चौघड़िया के हिसाब से घट स्थापना करने वाले सुबह 6: 33 से 9:33 बजे तक लाभ अमृत के चौघड़िया में और 11:04 से 12:00 बजे तक शुभ चौघड़िया के पूर्वार्द्ध में घट स्थापना कर सकते है. प्रतिपदा के दिन बुधवार होने से इस वर्ष अभिजीत मुहूर्त त्याज्य रहेगा. अभिजीत मुहूर्त समय दोपहर 12:05से 12:53 बजे तक का जिसे टाला जाना चाहिए.

पढ़ें-Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन इन विधि-मंत्रों से करे मां शैलपुत्री की पूजा, मन्नतें होंगी पूरी

घटस्थापना की विधि
सुबह स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घटस्थापना से पूर्व पूजास्थान जहां पर घटस्थापना करनी है उस स्थान को अच्छे से साफ करें और गंगा जल से शुद्ध कर लें. घटस्थापना के शुभ मुहूर्त के अनुसार घटस्थापना करें. एक लकड़ी के पाटे पर कोरा लाल वस्त्र का बिछाकर उस पर देवी की प्रतिमा या तस्वीर रखें. मिट्टी के कूण्डे पर हल्दी से नौ बिंदिया लगाएं और मौली बांधे. उसमें एक सिक्का रखकर उस पर मिट्टी और जौ डालें. एक कलश पर स्वास्तिक बनाएं और मौली बांधे.

कलश में अक्षत, सुपारी और सिक्का डालें. कलश के ऊपर अशोक के पत्ते या आम के पत्ते रखें. एक सूखा नारियल लें और उस पर मौली बांधें फिर लाल चुनरी लपेटें. हल्दी और चावल के पिसे मिश्रण से पूजास्थान की दीवार पर हाथ से नौ थापे लगाएं, चक्र, त्रिशूल और स्वास्तिक बनाएं. फिर दीप जलाकर जल चढ़ाएं. रोली-मौली-चावल से देवी जी की पूजा करें. कुण्ड में जल चढ़ाएं. फल और पुष्प चढ़ाएं. भोग और दक्षिणा अर्पित करें. पान-सुपारी चढ़ाएं. फिर मां दुर्गा के सभी स्वरूपों का ध्यान करें. दुर्गा चालीसा और श्री दुर्गा सहस्त्रनाम स्तोत्रम्‌ का पाठ करें. मां दुर्गा की आरती करें. इस प्रकार नौ दिनों तक देवी की पूजा-अर्चना करें.

यदि सम्भव हो तो नवरात्र के नौ दिनों तक व्रत करें. अन्यथा पहला और आखिरी नवरात्र का व्रत भी कर सकते हैं. इस दौरान संयमित आचरण करें. बुरे विचारों से दूर रहें. सात्विक भोजन करें. दाढ़ी और बाल ना कटाएं. ब्रह्मचर्य का पालन करें. शराब इत्यादि मादक पदार्थों का सेवन ना करें. परनिंदा से बचें. शास्त्रों के अनुसार हिंदू नववर्ष या भारतीय नववर्ष की शुरुआत भी चैत्र मास से होती है.

चैत्र मास को बहुत शुभ माना जाता है. चैत्र मास की शुक्लपक्ष की नवमी तिथि के दिन त्रेता युग में श्रीराम ने महारज दशरथ के पुत्र के रूप में अवतार लिया था. चैत्र नवरात्र के नौ दिनों तक देवी आदिशक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक रामायण का पाठ करने का भी विशेष महत्व होता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details