जयपुर.प्रदेश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में हुए दाखिले में आरबीएसई की तुलना में सीबीएसई स्टूडेंट के साथ राज्य सरकार बड़ा भेदभाव कर रही है. पांच साल पहले उच्च शिक्षा विभाग ने राजस्थान बोर्ड के विद्यार्थियों को राहत देते हुए उनके लिए परसेंटाइल फार्मूला इजाद किया था.
जिसके आधार पर सभी टॉपर्स को एक समान मानकर इस फार्मूले का इस्तेमाल किया जाने लगा, लेकिन इस फार्मूले को लाने के बाद बीते 5 सालों से हालात ऐसे बन गए हैं कि प्रदेश के सरकारी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सीबीएसई स्टूडेंट को दरकिनार ही कर दिया गया है.
राजधानी के प्रमुख कॉलेजों की तस्वीरें देखें तो सामने आता है कि आरयू के महाराजा में बीएससी पास कोर्स मैथ्स में कुल 386 एडमिशन हुए. इनमें 4 स्टूडेंट सीबीएसई, 379 राजस्थान बोर्ड के विद्यार्थियों को एडमिशन मिला. जबकि यहां बीएससी बायो पास कोर्स में 396 कुल सीटों पर 341 एडमिशन हुए.
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जिनमें 8 सीबीएसई और 329 स्टूडेंट्स शामिल है. ऐसा ही बीसीए में भी है. जहां 94 दाखिले हुए जिनमें 14 सीबीएसई और 78 स्टूडेंट राजस्थान बोर्ड के हैं. राजस्थान कॉलेज में बीए पास कोर्स के लिए अब तक कुल 357 प्रवेश हुए जिनमें आरबीएसई के 346 और 11 सीबीएसई, ऑनर्स विषय में 236 में से 206 आरबीएसई और 30 स्टूडेंट सीबीएसई में है.
वहीं प्रदेश के सबसे बड़े महारानी कॉलेज में ढाई हजार सीटों पर 100 सीबीएसई छात्रों के दाखिले हो सके हैं. इसे लेकर शिक्षकों में भी चिंता की लकीरें गहराई हुई है. दोनों बोर्ड के विद्यार्थियों के बीच बढ़ती खाई से शिक्षाविद संकेत के तौर पर नहीं देखते हैं.
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इस फार्मूले को लागू करने से पहले परिस्थितियां ऐसी थी कि राजस्थान बोर्ड के टॉपर्स इन कॉलेजों में जगह नहीं बना पाते थे, जबकि सीबीएसई में लचीले मार्किंग होने के कारण उन्हें इनका फायदा मिल जाता था. लेकिन अब आरबीएसई में भी लचीले परीक्षा पैटर्न और मार्किंग की वजह से बड़ी तादाद में विद्यार्थियों को 90 फीसदी अंक हासिल होने लगे हैं. पहले फार्मूला का मकसद आरबीएसई स्टूडेंट को राहत देना था.
इन हालातों से अब यह फार्मूला सीबीएसई स्टूडेंट्स के लिए बड़ी आफत बन चुका है.यहां तक कई विद्यार्थी संगठन ने भी इस मामले में जोर-शोर से सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई है.बरहाल दाखिला में सीबीएसई और आरबीएसई के स्टूडेंट के बीच बढ़ती खाई सीधे तौर पर दोनों इस बोर्ड के स्टूडेंट के बीच बड़े भेदभाव की ओर इशारा करती है.
सरकारी कॉलेजों में अच्छे अंकों के बाद भी दाखिला नहीं होने पर इन्हें निजी कालेजों की तरफ रुख करना पड़ रहा है.सीबीएसई स्टूडेंट्स खुद के साथ हो रहे अन्याय कि राज्य सरकार को गुहार भी लगा चुके हैं. शिक्षाविदों ने भी अपनी राय सरकार के समक्ष रख दी है लेकिन बावजूद इस तरह के हालातों के सरकार की अनदेखी से यह स्टूडेंट्स अन्याय भुगत रहे हैं. इस सत्र में दाखिले पूरे हो चुके हैं क्या यह सिलसिला अब आगामी सालों में भी जारी रहेगा इस पर जरूर विचार किया जाना होगा.