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मानवाधिकार आयोग की दखल के बाद कैंसर रोग से पीड़िता को मिली सरकारी राहत

मानवाधिकार आयोग की दखल के बाद कैंसर रोग से पीड़िता को सरकार से राहत मिली है. सरकार ने कैंसर पीड़ित महिला के उपचार का खर्चा दिया है. पीड़ित महिला के पति ने मानव अधिकार आयोग को गुहार लगाई थी.

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Published : Aug 3, 2019, 2:23 PM IST

मानवाधिकार आयोग की दखल के बाद कैंसर रोग से पीड़िता को मिली सरकारी राहत

जयपुर. मानवाधिकार आयोग की दखल के बाद कैंसर रोग से पीड़िता महिला को सरकारी से राहत मिल गई है, जयपुर जिला कलेक्टर ने इस बात की जानकारी आयोग के समक्ष रखी. कैंसर पीड़ित महिला के अब तक हुए उपचार का खर्चा बिल के हिसाब से किया गया. जबकि आगे के खर्चे के लिए सरकार ने व्यवस्था कर दी है. कैंसर पीड़ित महिला के पति ने दो दिन पहले मानव अधिकार आयोग को गुहार लगाई थी. दरअसल प्रदेश में कांग्रेस की गहलोत सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाया गया था और इसमें कैंसर, हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों को भी जोड़ा गया था.

मानवाधिकार आयोग की दखल के बाद कैंसर रोग से पीड़िता को मिली सरकारी राहत

लेकिन कैंसर रोगियों का इसका लाभ नहीं मिल रहा था , ऐसा ही एक मामला सामने बुधवार को मानवाधिकार आयोग के समक्ष आया था , जहां पर परिवादी जगदीश चंद्र बारेगामा की पत्नी कोमल देवी कैंसर रोग से पीड़ित है , इसका इलाज एसएमएस अस्पताल में चल रहा है. मेडिकल बोर्ड गठित दवा ओलापेरीब 600 एमजी प्रतिदिन देने की सलाह दी है इस दवाई की 14 दिन की कीमत 306000 पीड़िता को इसकी 6 साइकिल लेनी है और कीमत 1800000 है ऐसे में परिवादी के पास आर्थिक तंगी के चलते हैं. वह इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है. जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कैंसर हार्ट जैसे गंभीर बीमारियों इलाज भी फ्री में करने घोषणा करी गई है. पति ने आयोग के समक्ष गुहार में कहा था सरकारी दुकानों पर कैंसर की फ्री दवा नहीं मिल रही है उन्होंने अब तक 6 लाख की दवा खरीद ली.

अब उनके पास पैसे नहीं है अगर दवा नहीं मिली तो उनकी पत्नी मर जाएगी , इस पर मानव अधिकार आयोग ने मजिस्ट्रेट सहकारी समिति और जिला कलेक्टर को परिवादी की पत्नी को दवाई की व्यवस्था 4 अगस्त से पहले करने के निर्देश दिए हैं. आयोग के निर्देश के बाद जिला कलेक्टर जगरूप यादव ने आयोग के समक्ष अवगत कराया कि कैंसर पीड़िता के उपचार व्यवस्था निशुल्क कर दी गई है. साथ ही अब तक इलाज में खर्च हुई राशि भी पीड़िता के पति के खाते में ट्रांफ़सर कर दी गई है.

बहरहाल यह एक मामला है जो आयोग के समक्ष पहुंचा तो सरकारी अमला बचाव में उतार आया और आनन फानन में सभी व्यवस्था की गई. लेकिन ऐसे अभी भी कई मामले है जिनमें सरकारी उदासीनता के चलते रोगियों को परेशान होना पढ़ रहा है. ऐसे में जरूत है कि स्वास्थ्य विभाग इस एक प्रकरण से सबक ले और जरूत मंद ओर पीड़ित परिवारों को मदद करे.

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