जयपुर.भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई. लेखा परीक्षा प्रतिवेदन के अनुसार जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटा वर्ष 2020-21 में 5.86 प्रतिशत से घटकर पर 2021-22 में 4.03% हो गया. जो एफआरबीएम अधिनियम 2005 के अंतर्गत निर्धारित 3% के लक्ष्य से अधिक था. बता दें कि एफआरबीएम एक्ट के अनुसार राज्य सरकार को 0 राजस्व घाटा प्राप्त करना था. इसके बाद इसे बनाए रखना तथा राजस्व अधिशेष प्राप्त करना था. जबकि राज्य सरकार का 2020-21 के दौरान राजस्व घाटा 25870 करोड था. लेखा परीक्षा रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य सरकार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए 31 मार्च 2022 तक पांच आरक्षित निधि में 6767.15 करोड़ का कम हस्तांतरण किया.
31 मार्च 2022 तक विभिन्न विभागों ने 2010-11 से 2020-21 की अवधि से संबंधित कुल 1833.21 करोड के 770 उपयोगिता प्रमाण पत्र कार्यालय महालेखाकार को प्रस्तुत नहीं किए गए. लेखा परीक्षा रिपोर्ट के अनुसार जीएसडीपी में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों का योगदान 2019-20 के 8 .29% से घटकर 2021-22 में 7.44% हो गया. साल 2020- 21 के दौरान 42 निगमों एवं सरकारी कंपनियों में से 27 पीएसयू ने लाभ अर्जित किया, 12 पीएसयू ने हानि और तीन पीएसयू ऐसे रहे जिन्होंने न लाभ अर्जित किया न हानि. 31 मई 2022 तक 23 पीएसयू में 107318 करोड रुपए की हानि दर्ज की गई थी. 31 मार्च 2022 तक 23 हानि वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से 15 का निवल मूल्य संचित होने से पूरी तरह से समाप्त हो गया. रिपोर्ट में बताया गया है कि 24 पीएसयू के 49 लेखे बकाया थे.