जयपुर.राजधानी के शास्त्री नगर थाना इलाके में बुधवार सुबह एक किराना कारोबारी ने लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर (Businessman shot himself with licensed pistol) ली. कारोबारी को लहूलुहान अवस्था में उसके परिवार के सदस्य कांवटिया अस्पताल लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मृतक के मोबाइल से एक वीडियो मिला है जिसमें वह बिजनेस में धोखा, कर्ज के बोझ तले दबे होने की बात कह रहा है.
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अस्पताल की ओर से पुलिस को वारदात की सूचना दी गई और पुलिस ने मौके पर पहुंच शव को अपने कब्जे में लेकर मुर्दाघर में रखवाया. डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख ने बताया कि पानीपेच स्वर्णकार कॉलोनी स्थित नेहरू नगर निवासी व्यवसायी मनमोहन सोनी ने खुद को अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली मारकर आत्महत्या की है. कारोबारी ने खुद को जिस कमरे में गोली मारी है उसे पुलिस ने सीज किया है.
आत्महत्या करने वाले किराना कारोबारी के रिश्तेदार समर सोनी ने बताया कि मृतक का 20 साल से सत्यार्थ तिवारी नाम का एक व्यक्ति बिजनेस पार्टनर रहा है. सत्यार्थ तिवारी फाइनेंस का काम करता है जिसने मृतक के 7 करोड़ रुपए इन्वेस्ट करवाए. कोरोना काल में सत्यार्थ ने अपने हाथ खड़े कर दिए और साथ ही मृतक को उसकी राशि वापस लौटाने से साफ इनकार कर दिया. मृतक ने जब बार-बार अपनी राशि मांगी, तो सत्यार्थ ने घर बुलाकर मृतक को धमकाया. सोनी का आरोप है कि सत्यार्थ के पिता डीएसपी के पद से रिटायर हुए हैं, जिसके चलते उनके प्रभाव में शास्त्री नगर थाना पुलिस ने सत्यार्थ के खिलाफ रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की. जब मृतक ने कोर्ट के जरिए शास्त्री नगर थाने में सत्यार्थ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई, तो पुलिस ने उसमें एफआर लगा दी.
डेढ़ साल पहले भी किया सुसाइड का प्रयास: बिजनेस पार्टनर द्वारा धोखा देने और कहीं भी सुनवाई नहीं होने से आहत किराना कारोबारी मनमोहन सोनी ने तकरीबन डेढ़ साल पहले भी घर पर आत्महत्या का प्रयास किया था. उस वक्त मनमोहन ने नींद की दवाई का पूरा पत्ता खा लिया था. हालांकि परिजनों की सूझबूझ के चलते उसे जल्द अस्पताल ले जाया गया और समय पर इलाज मिलने के चलते उसकी जान बच गई. मृतक के रिश्तेदार समर सोनी ने मृतक के बिजनेस पार्टनर सत्यार्थ तिवारी पर यह आरोप भी लगाए हैं कि जब मृतक ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में सिविल का केस किया तब भी उनकी सुनवाई नहीं हुई. फास्ट ट्रैक अदालत में केस होने के बावजूद भी सुनवाई करने की बजाए तारीख पर तारीख मिलती रही. जिसके चलते मृतक काफी अवसाद में रहने लगा और आज लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली.