चाकसू (जयपुर). राजस्थान में चाकसू शील की डूंगरी में हर वर्ष लगने वाला छोटे मेले के नाम से विख्यात बूढ़ा बास्योडा पर्व शुक्रवार यानी 22 अप्रैल को मनाया जाएगा. इसको लेकर घर-घर कई तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जा रहे हैं, जिनका बूढ़ा बास्योा पर माता को इसी बासे (ठंडे) भोजन का भोग लगेगा. ऐसी मान्यता है कि माता को ठंडे पकवानों का भोग अर्पण करने से माता प्रसन्न होती हैं. वहीं, अगले दिन सप्तमी को शनिवार होने से बूढ़ा बास्योडा शुक्रवार को ही मनाया जाएगा.
बता दें कि यहां शील डूंगरी में हर वर्ष लगने वाले (Mela in Sheel Dungri Chaksu) बड़े मेले के ठीक एक माह बाद इस मेले में हजारों श्रद्धालु माता के दर्शनों को पहुंचते हैं और सुख-समृद्धि की मंगलकामनाऐं करते हैं. यहां शीतला माता का यह मंदिर जयपुर के दक्षिण में जयपुर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर चाकसू कस्बे में स्थित है. यहां स्थित एक छोटी सी पहाड़ी शील डूंगरी में विराजमान मां शीतला माता के मंदिर को लेकर लोगों में अपार धार्मिक आस्था बनी हुई है.
इस पहाड़ी का हर पत्थर शीतला माता के रूप में पूजा जाता है. यहां से लोग पत्थर घर भी ले जाते हैं और उन्हें अपने घर या मंदिर में रखते हैं. उनकी पूजा की जाती है. यहां के पत्थरों की बनावट भी खास है. मंदिर परिसर बनी बारह दरी में अंकित शिलालेख के अनुसार पहाड़ी पर स्थित शीतला माता का यह प्राचीन मंदिर करीब 500 साल पुराना बताया जाता है. मन्दिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 300 सीढ़ियां चढ़कर माता के दर्शन के लिए पहुंचना पड़ता है. इस मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं.