जयपुर.निकाय चुनाव के पहले हाइब्रिड फार्मूले को लेकर हुए विरोध के बाद खुद मुख्यमंत्री गहलोत ने यह साफ किया था कि गैर पार्षद को बोर्ड का चेयरमैन बनाने का सवाल ही नहीं उठता है, लेकिन इस हाइब्रिड फार्मूले का सबसे ज्यादा विरोध करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने ही खुद हाइब्रिड फार्मूले का इस्तेमाल करते हुए माउंट आबू से गैर पार्षद को सभापति का उम्मीदवार बनाया है.
लेकिन ये बात सामने आते ही राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और विपक्षी पार्टी भाजपा ने इसका जमकर विरोध किया था. जहां तक कि इस मामले में राष्ट्रीय नेताओं ने भी इस विरोध का समर्थन किया था. वहीं, विरोध के बाद स्थानीय निकाय विभाग की ओर से एक सर्कुलर जारी हुआ जिसमें यह साफ किया गया कि केवल विशेष परिस्थिति में ही ऐसा होगा और कांग्रेस की ओर से खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह साफ किया कि गैर पार्षद को बोर्ड का चेयरमैन बनाने का सवाल ही नहीं उठता है. जिसके बाद यह विवाद समाप्त हो गया. जिसके बाद अब 49 निकाय निगम और पालिका के चुनाव हो चुके हैं और 26 अगस्त को बोर्ड भी बन जाएंगे.
पढ़ें- पाली में चेयरमैन उम्मीदवारों के नामांकन के बाद कांग्रेस-भाजपा में भीतरघात का खतरा बढ़ा
बता दें कि राजस्थान कांग्रेस ने तो जो वादा किया था वह निभाते हुए 49 में से एक भी गैर पार्षद को सभापति, चेयरमैन या महापौर का उम्मीदवार नहीं बनाया है. कांग्रेस ने 46 जगह अपने खुद के जीते हुए पार्षदों को उम्मीदवार बनाया है और ब्यावर, नसीराबाद और पुष्कर में कांग्रेस ने निर्दलीय पार्षदों को उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में जो वादा कांग्रेस ने किया था वह पूरा किया.
लेकिन इस बात का सबसे ज्यादा विरोध करने वाली भाजपा ने ही खुद हाइब्रिड उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है. भाजपा ने माउंट आबू से गैर पार्षद को सभापति का उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में साफ है कि जिस हाइब्रिड सिस्टम का विरोध भाजपा ने सबसे ज्यादा किया उसी हाइब्रिड सिस्टम का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है.