जयपुर.राज्य में इस साल के अंत तक विधानसभा का चुनाव होना है, जिसके लिए सियासी पार्टियों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है. इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होता दिखाई दे रहा है. राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी और आरएसएस को लेकर एक गुरुवार को चिंता जताई हैं. उन्होंने कहा, राजस्थान में मिशन 2023 के लिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस ने अपनी नजरें प्रदेश पर गड़ा ली है. दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी 28 जनवरी को राज्य में अपनी तीसरी सभा करने जा रहे हैं. पीएम मोदी से पहले बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दो बार प्रदेश का दौरा कर चुके हैं. फरवरी-मार्च में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का दौरा बन रहा है. जबकि, आरएएस प्रमुख मोहन भागवत पहले से ही प्रदेश के प्रवास पर हैं.
प्रदेश बीजेपी नेताओं की गुटबाजी बड़ी चिंता: लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान समेत 9 राज्यों में चुनाव होने हैं. बीजेपी कांग्रेस सरकार की एंटी इनकंबेंसी का पूरा फायदा उठाना चाहेगी और प्रदेश में अपनी सरकार बनाने की कोशिश करेगी, लेकिन राजस्थान बीजेपी में राज्य के नेताओं बीच मनमुटाव और बिखराव है. उसे देखते हुए पार्टी की सत्ता में वापसी की आसान नहीं दिख रही है. यही वजह है कि अब मिशन 2023 को फतह करने के लिए दिल्ली से बड़े नेताओं ने कमान अपने हाथ मे ले ली है.
बड़े नेताओं का राजस्थान पर फोकस : प्रदेश बीजेपी खेमों में बंटी हुई दिख रही है. केंद्रीय नेतृत्व के कई बार कहने पर पार्टी के नेता एक जगह नहीं आ रहे हैं. दिल्ली से आने वाले नेताओं की सभा या बैठक को छोड़ दें, तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक साथ मंच साझा नहीं किया है. दोनों नेताओं के बीच सियासी दूरियों से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में बिखराव है. इन चार सालों में हुए उपचुनाव में भी इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ा. ऐसे में अब पार्टी के अधिकांश बड़े और चर्चित चेहरों का राजस्थान पर फोकस है, ताकि कार्यकर्ता और नेता किसी गुटबाजी में न पड़ें.