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Rajasthan Politics : राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राहुल गांधी को लिखा खुला पत्र, कहा- आपके पूरे परिवार ने नफरत का मेगा मॉल खोल रखा है

बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को खुला पत्र लिखकर कांग्रेस पर तंज कसा है. उन्होंने लिखा कि कांग्रेस की कथनी और करनी में बहुत अंतर है.

Rajyavardhan Singh Rathore Wrote open letter
Rajyavardhan Singh Rathore Wrote open letter

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Published : Jun 8, 2023, 10:03 PM IST

जयपुर.कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'मोहब्बत की दुकान' वाले बयान को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. बीजेपी के नेता एक के बाद एक राहुल गांधी पर हमलावर हो रहे हैं. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री और जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी राहुल गांधी को इस बयान को लेकर निशाने पर लिया है. राठौड़ ने राहुल गांधी को खुला पत्र लिख कर कहा कि आपकी 'मोहब्बत की दुकान' के बारे में सुनकर बहुत अच्छा लगा. सचमुच मोहब्बत में परस्पर जोड़ने की भावना निहित है, इसपर चलकर समाज और देश को और ज्यादा सशक्त बना सकते हैं.

उन्होंने लिखा कि कांग्रेस यदि वास्तविकता में इसी पॉजिटिव सोच पर चले तो कितना बेहतर हो, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आपकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है. उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका में आपने इस 'मोहब्बत की दुकान' से अपनी मातृभूमि और देश के लिए जी भरकर नफरत फैलाई है. वैसे नफरत फैलाना आपके परिवार और आपकी पार्टी के लिए कोई नई बात नहीं है. आप लोगों की तो इसमें महारत रही है. आपके पूरे परिवार ने नफरत का मेगा मॉल खोल रखा है.

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'मोहब्बत' में नरसंहार :राठौड़ ने राहुल गांधी से कहा कि आपको मोहब्बत की दुकान पर बात करने से पहले कांग्रेस राज में हुए नरसंहारों के बारे में भी जरूर जानना चाहिए, वह चाहे पं. नेहरू हों या आपके पिता राजीव गांधी. अन्होंने आरोप लगाया कि इन्होंने न सिर्फ हजारों निर्दोष लोगों के कत्लेआम को जायज ठहराया, बल्कि नफरत की आग को और तेजी से भड़काया.

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की दलितों के प्रति 'मोहब्बत' की भी कई दास्तानें हैं, यह अलग है ये खून से सनी हैं. वह चाहे अल्मोड़ा जिले का कफल्टा नरसंहार हो या फिरोजाबाद जिले के साढ़पुर गांव में हुआ नरसंहार. दलितों के ये दोनों ही नरसंहार तब हुए, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. 9 मई, 1980 को अल्मोड़ा में बारात में शामिल 14 दलितों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. वहीं, फिरोजाबाद में 30 दिसंबर, 1981 को दलित समाज के 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था.

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कांग्रेस की सियासी 'मोहब्बत' :राठौड़ ने पत्र में आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी की तो शुरू से परंपरा रही है कि वो अपने वरिष्ठ नेताओं को भी नहीं बख्शती है. उनके निधन के बाद ही नहीं, जीते जी भी उनका अपमान करती रही है. शुरुआत पं. नेहरू से ही करते हैं. नेहरू के दिल में न जाने ये कैसी मोहब्बत थी कि उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सलाह दी कि वो सरदार वल्लभभाई पटेल के अंतिम संस्कार में न जाएं. वो 15 दिसंबर 1950 का दिन था.

खून के रिश्तों से भी नफरत :पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि आप अपनी पार्टी और परिवार के गिरेबान में झांकते जाएं तो इतिहास के हर मोड़ पर यही पाएंगे कि सत्ता के लिए किस हद तक आप सबने हर तरफ नफरत फैलाने का काम किया है. दूसरों की बात जाने दें, आपके दिलों में तो अपनों के लिए भी मोहब्बत नजर नहीं आती. आपको भी शायद 28 मार्च, 1982 की वह तारीख याद हो. जब आपकी दादी अपनी छोटी बहू मेनका गांधी से इतनी मोहब्बत से पेश आई थी कि रातों रात उन्हें घर से निकाल दिया था.

वीरता की विभूतियों का अपमान :राठौड़ ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस और आपके दिल में देश की सेना और आजादी के सेनानियों के प्रति कितना सम्मान है और कांग्रेस नेता उन्हें मोहब्बत की किन नजरों से देखते हैं, यह बताने के लिए दो उदाहरण ही काफी हैं. देश को 1971 के भारत-पाक युद्ध में शानदार जीत दिलाने वाले सेना प्रमुख और फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को 32 सालों के बाद उनका हक तब मिला, जब एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बने. यह भी जान लीजिए कि देश को आजादी दिलाने के आंदोलन में वर्षों तक कालापानी की सजा पाने वाले वीर सावरकर के प्रति भी आपकी खुद की मोहब्बत किन अल्फाजों में अभिव्यक्त होती है, 'मेरा नाम नहीं है, मैं गांधी हूं. मैं माफी नहीं मांगूंगा.

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