जयपुर. राजस्थान में IAS अफसरों की ACR भरने के मामले में (ACR of IAS officers case) एक तरफ गहलोत सरकार के मंत्री आमने-सामने हो गए हैं तो वहीं अब इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी एंट्री कर ली है. बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने मंत्रिमंडल के सदस्यों को निशाने( Arun chaturvedi target gehlot ministers) पर लेते हुए कहा कि मंत्री अपना दामन साफ दिखाने के लिए सार्वजनिक बयानबाजी कर रहे हैं.
संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में विफल
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों पर अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन सही तरह से नहीं कर पाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मंत्रिमंडल के सदस्य आईएएस अफसरों की एसीआर भरने के मामले में आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, वह उनकी कमजोरी और मंत्रिमंडल के सामूहिक दायित्वों के निर्वहन के विषय में जानकारी न होने को प्रकट करता है. अच्छा होता कि मंत्रिमंडल के सदस्य इस विषय की सार्वजनिक चर्चा करने की जगह उसे मंत्रिमंडल की बैठकों में उठाकर किसी निष्कर्ष तक पहुंचते हैं.
अरुण चतुर्वेदी का गहलोत के मंत्रियों पर निशाना पढ़ें.पायलट के बाद प्रताप : खाचरियावास ने गहलोत के प्रमुख सचिव पर उठाई अंगुली, बोले- IAS की ACR भरने का मंत्री को मिले अधिकार
चतुर्वेदी ने कहा कि इन सार्वजनिक वक्तव्यों से राजस्थान की कांग्रेस सरकार के सत्ता संतुलन के बदलने का भी एहसास होता है. भाजपा नेता ने कहा कि इन वक्तव्यों की लड़ाई से यह भी प्रकट होता है कि मंत्रियों की अपने विभागों पर पकड़ नहीं है. इसी कारण मंत्री अधिकारियों की और से नियम विरुद्ध कामों के खिलाफ कार्रवाई करने के स्थान पर उनके खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी करते हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि इन सार्वजनिक वक्तव्यों से राजस्थान की कांग्रेस सरकार के सत्ता संतुलन के बदलने का भी एहसास होता है.
खाचरियावास और जोशी आमने सामने
मंत्रियों को आईएएस अफसरों की ACR भरने की अनुमति की मांग पर प्रताप सिहं खाचरियावास और महेश जोशी आमने सामने हो गए थे. महेश जोशी ने कहा था कि मंत्री को आईएएस अफसर की एसीआर नहीं भरनी चाहिए. ये मुख्यमंत्री का काम है. जोशी ने प्रताप सिंह की बात को काटा तो गुस्से में आगबबूला खाचरियावास उनपर फिर हमला बोला. खाचरियावास ने कहा कि एसीआर नहीं लिख रहे हैं, झूठ बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंत्री को ही एसीआर लिखनी चाहिए और इसमें बुरा मानने की क्या बात है? जिस विभाग का मंत्री होगा उसे ही एसीआर भरना चाहिए.