जयपुर.चूरू जिले की सरदारशहर विधानसभा सीट के लिए बीजेपी ने अपने पिछले उम्मीदवार पर ही भरोसा (Sardarshahar by election 2022) जताया है. कांग्रेस दिवंगत भंवर लाल शर्मा के परिवार में से किसी को टिकट देकर जिस सहानुभूति की उम्मीद कर रही है. उसी तरह की सहानुभूति की उम्मीद बीजेपी भी अपने उम्मीदवार को लेकर कर रही है. बस अंतर इतना है कि बीजेपी को लगता है कि पींचा चार बार चुनाव हार गए हैं. इस बार इन चार बार की हार पर जनता की सहानुभूति होगी. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी कहा कि अशोक पिंचा को लेकर सब की आम सहमति बनी है. पार्टी के मजबूत उम्मीदवार होंगे, पिंचा की चार बार हार की सहानुभूति मिलेगी.
चार बार हार की सहानुभूति मिलेगीःबीजेपी ने अशोक पिंचा पर छठी बार भरोसा जताया है. इससे पहले पिंचा चार बार हार चुके हैं और एक बार जीते हैं. पिंचा को टिकट देने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि सदारशहर सामान्य तौर पर पृष्ठभूमि कांग्रेस की रही है. यहां पर परंपरागत रूप से बीजेपी को संघर्ष करना पड़ा है. बीजेपी ने 1998 में 1 बार जीते हैं. अच्छी बात यह है कि पंचायत समिति, जिला परिषद और लोकसभा में हमें वहां पर अच्छा समर्थन मिला है. इन्हीं भावनाओं के मद्देनजर अशोक कुमार पिंचा जो की हमारे परंपरागत उम्मीदवार रहे हैं और वह एक अच्छे उम्मीदवार साबित हुए हैं उन्हीं पर भरोसा जताया है.
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पूनिया ने कहा कि पिंचा हमेशा एक अच्छे मार्जिन के साथ में वोट हासिल किए हैं. उनको सम्मान 70, 72, 77 हजार तक वह वोट देते (Ashok Kumar Pincha for Sardarshahar by election) रहे हैं. हार का मार्जिन लगातार कम होता रहा है. उन्होंने कहा कि कई बार समीकरण होते हैं, वोटों का डिवीजन एक बड़ा कारण है. इस बार इस उम्मीद और भरोसे के साथ में चुनाव उतरा गए कि वो चार बार हार चुके तो जनता की सहानुभूति मिलेगी. सहानुभूति का लाभ बीजेपी उम्मीदवार को मिलेगा.
15 दावेदार में पिंचा मजबूतः सतीश पूनिया ने कहा कि इस बार सरदारशहर सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में बीजेपी के कार्यकर्ताओं में उत्साह है कि संकल्प लिया है कि हम जीतेंगे. पूनिया ने कहा कि यह अच्छी बात है कि 15 से ज्यादा उम्मीदवारों ने अपनी जीत की दावेदार रखी थी. पार्टी के लिए आसान नहीं था किसी का नाम तय करना, लेकिन सबकी सहमति और सब के विचार विमर्श के बाद में अशोक पिंचा का नाम तय हुआ है. जैसे-जैसे चुनाव परवान चढ़ेंगे, बीजेपी जीत के लिए मजबूत होगी. टिकट नहीं मिलने पर हो रही नाराजगी पर पूनिया ने कहा कि इसे सकारात्मक तौर पर देखना चाहिए. उम्मीदवार ज्यादा हैं मतलब वहां पर पार्टी के पक्ष में माहौल है और कार्यकर्ताओं में उत्साह है.
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5 चुनाव लड़े, केवल एक जीताःसरदारशहर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी अशोक कुमार पिंचा ने 1998 में भाजपा (BJP fielded Ashok Kumar Pincha for sympathy votes) के टिकट पर पहली बार सरदारशहर सीट से चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद 2003, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में भी अशोक कुमार पिंचा को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि अशोक कुमार पिंचा 2008 के विधानसभा चुनाव में चुनाव जीत गए थे और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी भंवरलाल शर्मा को चुनाव हराया था.
ये रहा हार-जीत का अंतरः2018 विधानसभा चुनाव में भंवरलाल शर्मा से 16816 वोटों के अंतर से अशोक पिंचा हारे थे. इससे पहले एक बार अशोक पिंचा 2008 से 2013 तक बीजेपी विधायक रहे थे. 2018 के विधानसभा चुनाव में भंवरलाल 18 हजार 816 वोटों से चुनाव जीते थे. उन्हें 95 हजार 282 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार अशोक पींचा को 78 हजार 466 वोट मिले थे. 2013 के विधानसभा चुनाव में भंवरलाल 7 हजार 57 वोटों से चुनाव जीते थे. उन्हें 86 हजार 732 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार अशोक पींचा को 79 हजार 675 वोट मिले थे.