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गाड़िया लोहारों को मिलेगा अपना आवास , सरकार देगी मकान निर्माण और कच्चे माल के लिए अनुदान

घुमंतू जाति में शुमार गाड़िया लोहार को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार अब बड़े कदम उठाने जा रही है. राज्य सरकार इन्हें भवन निर्माण और कच्चा माल खरीदने के लिए अनुदान देगी.

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Published : Jun 27, 2019, 4:09 PM IST

सरकार देगी मकान निर्माण और कच्चे माल के लिए अनुदान

जयपुर. राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना के तहत गाड़ियां लोहारों को स्थाई रूप से बसाकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विभाग द्वारा भवन निर्माण और कच्चा माल खरीदने के लिए अनुदान देगी. साथ ही व्यायापार करने ले किये 5 हजार रुपये का अनुदान भी देगी.

गाड़ियां लोहारों जो घुमंत जाती के रूप में पहचानी जाती है, प्रदेश की गहलोत सरकार अब इस घुमंतू गाड़िया लोहारों को स्थाई रूप से बसाकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए गंभीर नजर आ रही हैं. इन्हें सरकार की तरफ से जमीन के साथ भवन निर्माण का अनुदान दिया जाएगा. इस योजना के तहत गाड़ियां लोहारों को स्थाई रूप से बसाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 150 वर्ग गज और शहरी क्षेत्र में 50 गज भूमि आवंटन करने का प्रावधान पहले से हैं.

गाड़िया लोहारों को मिलेगा अपना आवास

जिस गाड़िया लोहार के परिवार में पत्नी और पति के पास स्वयं का मकान नहीं हैं, वो निर्धारित प्रपत्र में प्रार्थना पत्र देकर मकान निर्माण हेतु अनुदान की मांग कर सकते हैं, आवंटित भूमि पर मकान निर्माण के लिए गाड़ियां लोहारों को निर्धारित प्रपत्र में नियमानुसार जाति प्रमाण पत्र एवं भूमि पट्टा संलग्न करना होगा. जिसके बाद इस परिवार को 70 हजार रुपये अनुदान राशि दी जाएगी जो 3 किस्तों में क्रमश 25, 25 और 20 हाजर रुपए अनुदान के रूप में देय होगी.

कौन है गाड़िया लोहार

राजस्थान की गाड़िया लोहार एक ऐसी अनोखी घुमक्कड़ जाति जो अपने घर कभी स्थाई नहीं होता, बल्कि कलात्मक बैल गाड़ी ही इनका चलता फिरता घर होता हैं. इस गाड़ी में ही वो सारे काम करते हैं जो एक आम आदमी अपने घरों में करता हैं.

कहा जाता है कि गाड़िया लोहार महाराणा प्रताप के सहयोगी के रूप में युद्ध लड़े थे. महाराणा प्रताप जिस तरीके से अकबर से युद्ध के दौरान अलग-अलग जगहों पर घूमते रहे, गाड़िया लोहारों का भी प्रण था कि जब तक महाराणा प्रताप चितौड़गढ़ का किला फतह नहीं कर लेते जब तक ये भी स्थाई निवास नही बनाएंगे.

यह परंपरा सदियों से चली आ रही हैं लेकिन आजादी के बाद से ही सरकार की कोशिश रही है कि इस घुमंतू जाति को समाज के मुख्यधारा से जोड़ा जाए. इसी कड़ी में राजस्थान में भी घुमंतू जाति के स्थाई निवास और स्थाई काम को लेकर योजना बनाई गई.

इसी प्रकार गाड़िया लोहारों को स्वावलंबी बनाने हेतु उनकी व्यवसाय के लिए कच्चा माल खरीदने के लिए भी एक मुस्कान ₹5 हज़ार की राशि स्वीकृत की जाती है. दरअसल यह वह जाती हैं जो स्थाई रूप से एक जगह पर नहीं ठहरती है. लोहार का काम करने वाली गाड़िया लोहार जाति घुमंतू के रूप में रहती हैं. अब सरकार की कोशिश है कि इस घुमंतू जाति को स्थाई निवास देकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाये.

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