भरतपुर.राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के रूप में भरतपुर के 'लाल' भजनलाल शर्मा ने शुक्रवार को जयपुर के अल्बर्ट हॉल पर शपथ गृहण की. भरतपुर जिले के गांव अटारी में जन्मे भजनलाल के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही भरतपुरवासियों की उम्मीद जग गई है. 43 साल बाद अपने नेता को मुख्यमंत्री पद पर आसीन देखकर अब लोगों को जिले की प्रमुख समस्याओं के समाधान और विकास की राह खुलती नजर आ रही है. चाहे विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को करौली जिले के पांचना बांध से पानी मिलने की उम्मीद हो, सुजान गंगा नहर के उद्धार की बात हो या फिर जिले में नई औद्योगिक इकाइयां खुलने की, अब सभी समस्याओं के समाधान के रास्ते खुलने की उम्मीद जग गई है.
वरिष्ठ पत्रकार राकेश वशिष्ठ ने कहा कि भले ही भजनलाल शर्मा सांगानेर से जीतकर विधायक बने हैं और उसके बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, लेकिन उनका पूरा राजनीतिक जीवन भरतपुर से जुड़ा हुआ है. मुख्यमंत्री बनने के बाद भरतपुर की जनता के मन में भी यह बात है कि उनका अपना बेटा, उनका अपना भाई मुख्यमंत्री बना है. ऐसे में अब तक उपेक्षित रहे भरतपुर जिले की जनता के मन में यह बात है कि भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब भरतपुर का भी विकास हो सकेगा.
विरासत पर जल संकट :राकेश वशिष्ठ ने बताया कि विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की वजह से भरतपुर को दुनिया भर में पहचान मिली है, लेकिन जिस उद्यान की वजह से भरतपुर को पहचान मिली है वही उद्यान बीते 20 वर्षों से जल संकट झेल रहा है. 20 वर्ष से कभी भी इसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल सका है. एक पर्यटन सीजन के दौरान उद्यान को करीब 550 एमसीएफटी (मिलियन क्यूबिक फीट) पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन न तो उद्यान को पांचना बांध से पानी मिल पाता है और न चंबल परियोजना से. मजबूरन गोवर्धन ड्रेन के प्रदूषित पानी से काम चलाना पड़ता है.
उन्होंने बताया कि जब तक उद्यान को पांचना बांध का पानी नहीं मिलेगा, तब तक यह उद्यान अपनी पुरानी पहचान वापस हासिल नहीं कर सकता, लेकिन अब भरतपुर के जाए जन्मे भजनलाल शर्मा के राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उम्मीद जगी है कि विश्व विरासत को फिर से पांचना बांध का पानी मिल सकेगा और दुनिया में फिर से अपनी पहली वाली पहचान बना सकेगा.