जयपुर.अपनी विद्या और धन को परोपकार में काम लेने वाला व्यक्ति सज्जन कहलाता है. ऐसे ही सज्जन व्यक्तियों का शिक्षा विभाग की ओर से सम्मान किया जा रहा है. ये कहना है प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला का. राज्य स्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह में शिरकत करते हुए बीडी कल्ला ने राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम में भामाशाहों की भूमिका का भी जिक्र किया. साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में बनाए गए वर्ल्ड रेकॉर्ड्स की भी जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने सितंबर में ही डीपीसी का काम पूरा कर लेने और शिक्षा विभाग के सभी रिक्त पदों को जल्द भरने की बात कही.
कोई अपने पिता तो कोई अपने पति के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए भामाशाह बन सरकारी स्कूलों से जुड़कर उनका विकास करने में जुटे हुए हैं. राजस्थान के ऐसे 142 भामाशाहों को सोमवार को सम्मानित किया गया. इन्हीं में से एक धरम कुलरिया ने बताया कि उनके पिता ने 1995 में अपने गांव मूलवास में एक छोटा सा स्कूल शुरू करने का संकल्प लिया था. ताकि आसपास के गांव की छोटी बच्चियां यहां शिक्षा ग्रहण कर सकें. आज उस स्कूल ने एक बड़ा रूप ले लिया है.
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पांच बार भामाशाह सम्मान प्राप्त कर चुके कुलरिया का लक्ष्य है कि आगामी 2 साल में वो उस स्कूल को देश का नंबर वन सरकारी स्कूल बनाएं. वहीं लगातार छठी बार सम्मानित हुए भामाशाह एसके सुराना ने बताया कि एक पब्लिक लिस्टेड कंपनी होने के चलते उनका भी कर्तव्य है कि गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में शिक्षा का प्रसार हो. भारत की मुख्य आबादी सरकारी स्कूलों में पढ़ रही है. इन स्कूलों में सरकार निशुल्क शिक्षा दे रही है. ऐसे में सभी भामाशाहों का कर्तव्य बनता है कि सरकारी विद्यालयों में ज्यादा से ज्यादा सहयोग दें.
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वहीं शिक्षा विभाग में कार्यरत रहे अपने पति की इच्छा को आगे बढ़ाने का काम कर रही शाहपुरा की सुंदरी देवी ने बताया कि वो अपनी पेंशन का पूरा पैसा शिक्षा विभाग से जुड़े सरकारी स्कूलों में लगाती हैं. यही नहीं अपने बच्चों को भी बचत का पैसा इन स्कूलों पर लगाने की और प्रोत्साहित किया है. तभी आज उनके बच्चे भी खूब तरक्की कर रहे हैं. भामाशाह हो और प्रेरकों को सम्मानित करने के बाद शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला ने बताया कि भामाशाह सम्मान समारोह के अवसर पर 142 भामाशाहों और 79 प्रेरकों को सम्मानित किया गया. इनमें जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड और अन्य कई प्राइवेट कंपनियां भी शामिल हैं.
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कल्ला ने बताया कि ये सम्मान भामाशाह की स्मृति में आयोजित किया जाता है. भामाशाह वही थे जिन्होंने महाराणा प्रताप के हितेषी के रूप में संकट के समय उनकी मदद की. उन्होंने बताया कि जो लोग शिक्षण संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर और भौतिक सुविधाओं पर खर्च करते हैं उन्हें विद्या विभूषण, विद्या भूषण और विद्याश्री पुरस्कार दिए जाते हैं. उम्मीद है कि जिन भामाशाहों को सम्मानित किया गया है वो आगे भी चलकर सरकारी स्कूलों में अपना योगदान देंगे. इस दौरान कल्ला ने कहा कि चयनित शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जिले आवंटित हो चुके हैं. 48 हजार पदों को बहुत जल्द भरने जा रहे हैं. उम्मीद यही है कि 30 सितंबर से पहले-पहले जो डीपीसी बाकी है, वह भी पूरी हो जाएगी. और फिर भी जो रिक्त पद रह जाएंगे उन सभी को विद्या संबल योजना के जरिए भरा जाएगा. शिक्षकों की कमी नहीं आने दी जाएगी.
वहीं अभ्यर्थियों की ओर से फर्स्ट ग्रेड, सेकंड ग्रेड और थर्ड ग्रेड के रिजल्ट क्रमशः आने की मांग पर मंत्री बीडी कल्ला ने स्पष्ट किया कि रिजल्ट निकालने वाली बॉडी ऑटोनॉमस हैं वो शिक्षा विभाग के अंतर्गत नहीं आती. फिर भी यदि थर्ड ग्रेड की नियुक्ति से पहले फर्स्ट ग्रेड और सेकंड ग्रेड का रिजल्ट आ गया, तो उनको पहले प्राथमिकता देते हुए नियुक्ति दे दी जाएगी. इस दौरान उन्होंने आरटीई के नियमों की अवहेलना कर रहे प्राइवेट स्कूलों को चेतावनी देते हुए स्पष्ट कर दिया कि जो स्कूल आरटीई एक्ट का पालन नहीं करेंगे, वो फिर कितना ही बड़ा स्कूल क्यों ना हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.