जयपुर. लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा अपनी रणनीति में बदलाव किया है. अब भाजपा, पार्टी से छिटके नेताओं को जोड़ने में लग गई है. पिछले विधानसभा चुनाव में ही घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल, हेमसिंह भड़ाना, राजकुमार रिणवां, धनसिंह रावत सहित करीब दो दर्जन ऐसे नेता रहे जो पार्टी से दूर हो गए थे. लेकिन, अब पार्टी अपने फायदे नुकसान को ध्यान में रखते हुए इनकी घर वापसी की कवायद में जुट गई है.
बता दें, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के लिए राजस्थान में बीजेपी की तैयारियों का औपचारिक आगाज कर दिया है तो वहीं संगठन महामंत्री रामलाल भी प्रदेश नेताओं को जीत का मंत्र दे गए. जीत के इस मंत्र में रामलाल ने पार्टी नेताओं से साफ कहा कि विचारधारा के विस्तार और संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी से बिछड़े लोगों को फिर से जोड़ने के काम पर भी ध्यान देना चाहिए. ऐसे में अब केन्द्रीय नेतृत्व से हरी झण्डी मिलने के बाद जल्द ही बीजेपी से छिटके नेताओं की पार्टी में वापसी के आसार बनने लगे हैं. हालांकि इन नेताओं की घर वापसी जिला इकाई की पॉजिटिव रिपोर्ट पर ही की जाएगी.
विधानसभा चुनाव हार चुकी भाजपा अब लोकसभा चुनाव में किसी तरह का रिस्क लेने के मूढ में नहीं दिख रही है. इसके लिए चाहे उन नेताओं की घर वापसी ही क्यों ना करानी पड़े जो पिछले चुनाव में भाजपा से बगावत कर बाहर हो गए थे और पार्टी के खिलाफ ही मैदान में ताल ठोक दी थी. हाल ही में जयपुर प्रवास पर आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने पार्टी के सियासी फायदे नुकसान को देखते हुए ऐसे नेताओं को फिर से पार्टी से जोड़ने की बात कही है. हालांकि संगठन महामंत्री रामलाल ने इस दौरान साफ कर दिया था कि जो नेता पार्टी की विचारधार में भरोसा रखते हो और उनके बीजेपी में जुड़ने से पार्टी को फायदा मिलता हो तो ही संगठन में इन्हें वापस जोड़ा जाएगा.
राष्ट्रीय संगठन महामन्त्री के बयान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में भी पॉजिटिव रिएक्शन आ रहा है. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि संगठन से बिछड़े लोग फिर जुड़ेंगे तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिलना तय है. पूर्व मन्त्री और विधायक कालीचरण सराफ कहते हैं कि अनुशासनहीनता करने वाले लोग फिर से ऐसा नहीं करने का भरोसा दिलाते हैं तो उन्हें लिया जाना संगठन के हित में ही होगा. वहीं बीजेपी के प्रदेश मन्त्री मुकेश दाधीच कहते हैं कि केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद विधानसभा चुनाव के सभी बागियों की तो नहीं, लेकिन उन लोगों के घर वापसी के आसार जरूर बढ़ गए हैं जो पार्टी की विचारधारा मजबूत करेंगे और चुनाव के नजरिये से फायदेमंद भी हो सकते हैं.