जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में अपने बजट को लेकर 3 मंत्र दिए हैं. फोकस राहत, बढ़त और बचत पर है. सीएम गहलोत कई मौकों पर कृषि को तवज्जो देने की बात कह चुके हैं. बार्क ट्रस्ट (Budget Analysis and Research Centre) के निदेशक निसार के मुताबिक गहलोत सरकार का बजट आंकड़ों की जादूगरी का एक नमूना है. जिसमें खेती और किसान के लिए एक साल के रोडमैप को अलग-अलग योजनाओं से निकालकर एक अध्याय के रूप में पेश किया गया है.
निसार मानते हैं कि ऊर्जा, जल संसाधन , सहकारिया और पशुपालन के साथ ही सामाजिक न्याय अधिकारिता महकमे में किसान से जुड़े बिन्दुओं को गहलोत ने अलग कर दिया. इससे उन्होंने जताने की कोशिश की है कि किसानों के लिए अलग बजट बनाने की दिशा में वो काम कर रहे हैं. दिखने में भले ही तस्वीर बेहतर नजर आ रही है परंतु इसमें आज भी कई जगह बेहतर करने की गुंजाइश है. मसलन पिछले बजट में किसानों को दिए गए पैसे में सबसे बड़ा अंश ऊर्जा के क्षेत्र में रहा था.
तय मिशन पर काम की जरूरत-बार्क के निदेशक निसार ने कहा कि सरकार ने अपने बजट में पिछली बार जो घोषणाएं की थी अभी तक उसको धरातल पर पूरा नहीं किया है. कोई रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है. ऐसे में इरादों के अमल में आने पर एक सवाल है. सरकार के ग्यारह मिशन पर कितना काम हुआ, ये भी साफ नहीं हो सका है. किसान मजदूर और महिला किसानों को लेकर भी किए गए वादों को जानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मिलेट मिशन उड़ीसा की तर्ज पर लाया गया, इसमे करीब 100 करोड़ रुपए का फंड भी दिया गया.लेकिन इसके प्रचार पर किया गया काम सिफर ही रहा. मिलेट्स प्रोडक्शन हो रहा है, परंतु उसकी प्रोड्यूसर और कंज्यूमर तक पहुंच नहीं है. ऐसे में सरकार को इस दिशा में काम करने की जरूरत है.