विराटनगर (जयपुर).विराटनगर एरिया में स्थित लाखावाला गांव में शनिवार को बघेरा ने एक गाय पर हमला कर दिया. इस दौरान गाय बुरी तरह जख्मी हो गई. बघेरे के हमले से गाय का निचला जबड़ा पूरी तरह खून से लथपथ हो गया.
सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व थानेदार शंकरलाल जटावत ने बताया कि पहले भी जंगली जानवरों के हमले में कई जानवर गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं. ग्राम घोगेरा, सोठाना, पापड़ी और लाखावाला में पालतू पशुओं को जंगली जानवर शिकार बना रहे हैं. इसको लेकर गांव वालों में खौफ व्याप्त है और इन लोगों की मांग है कि बघेरा को जल्द से जल्द पकड़ा जाए, क्योंकि पालतू जानवरों का शिकार करते हुए कहीं जंगली जानवर किसी व्यक्ति पर हमला कर देता है तो स्थिति गंभीर उत्पन्न हो जाएगी. यह ग्रामीण क्षेत्र वन्यजीव क्षेत्र के समीप पड़ता है और यहां निरंतर जंगली जानवरों की आवाजाही रहती है.
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वन विभाग जहां प्रतिवर्ष विभिन्न योजनाओं के माध्यम से तथा करोड़ों रुपए के भारी-भरकम बजट वन्यजीव सुरक्षा को सुनिश्चित करता है. साथ ही वन्यजीव क्षेत्र के निकट मानव बस्तियों में सुरक्षा की दृष्टि से विभिन्न योजनाएं चलाई जाती हैं. मानव बस्ती में जंगली जानवरों का आना कहीं न कहीं वन्य क्षेत्र में भोजन और पानी की कमी की संभावना को दर्शाता है. वन विभाग के अफसरों की लापरवाही से आमजन त्रस्त हैं.
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ग्रामीणों के अनुसार कई बार वन विभाग के अधिकारियों को पैंथर मूवमेंट की जानकारी देने के बावजूद कहीं भी चेतावनी बोर्ड और सुरक्षा की दृष्टि से कोई उपाय नहीं किए गए हैं, जिसका खामियाजा स्थानीय ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. पैंथर के डर के कारण स्थानीय किसान अपने खेतों में जाकर कृषि कार्य भी नहीं कर पाते, जिससे उनकी आजीविका पर भी संकट उत्पन्न हो गया है. लेकिन वन विभाग के अधिकारियों को इस बात की कोई फिक्र नहीं है कि आमजन परेशान हो रहा है. वन विभाग के अधिकारी कोई बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं. अगर स्थिति को समय रहते नहीं संभाला गया तो नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं.