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जयपुरः राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में देश भर से आए ज्योतिषियों ने ग्रह दशाओं पर किया मंथन - दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन

जयपुर में राजकीय महाराजा आचार्य संस्कृत महाविद्यालय में धर्म और ज्योतिष विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य और आयोजक डॉ. भास्कर शर्मा ने कहा कि धर्मानुसार आचरण से जीवन में प्रसन्नता और आनंद बढ़ता है, फिर उन्हें ज्योतिषीय परामर्श की आवश्यकता ही नहीं पड़ती.

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राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में देश भर से आए ज्योतिष

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Published : Dec 23, 2019, 11:24 PM IST

जयपुर.राजकीय महाराजा आचार्य संस्कृत महाविद्यालय में धर्म और ज्योतिष विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, विशिष्ट अतिथि प्रो विनोद शास्त्री और अध्यक्षता कॉलेज शिक्षा आयुक्त प्रदीप कुमार बोरड ने की.

राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में देश भर से आए ज्योतिष

कार्यक्रम में संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य और आयोजक डॉ. भास्कर शर्मा ने कहा कि धर्मानुसार आचरण से जीवन में प्रसन्नता और आनंद बढ़ता है, फिर उन्हें ज्योतिषीय परामर्श की आवश्यकता ही नहीं पड़ती. धर्म के आचरण में कमी के चलते ही जीवन में अशांति आती है. कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि सम्मेलन में केरल, पंजाब, हिमाचल, जम्मू, गुवाहाटी, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों से 150 से ज्यादा ज्योतिषी भाग ले रहे है.

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कार्यक्रम की संयोजक डॉ. शालिनी सक्सेना ने बताया कि सम्मेलन के पहले दिन प्रमुख आकर्षण आमजन को निशुल्क ज्योतिषीय परामर्श रहा. इस दौरान जन्मपत्री, टैरो कार्ड, हस्तरेखा, कुंडली आदि से लोगों की शंकाओं का समाधान बताया गया. वहीं, पहले दिन विभिन्न विषयों पर शोध पत्र भी पढ़े गए. सम्मेलन में ज्योतिषियों ने बताया कि कुंडली के चौथे सातवें और दसवें भाग के साथ-साथ 12वें भाग से व्यक्ति के मान सम्मान की स्थिति भी देखी जाती है. मूलरूप से चंद्रमा और शुक्र यश प्रदान करने वाले ग्रह होते है. हस्तरेखा विज्ञान में सूर्य को यश का ग्रह माना जाता है वहीं शनि राहु और खराब चंद्रमा यश में बाधा पहुंचाने वाले ग्रह हैं.




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