जयपुर. राज्य में सड़कों पर बढ़ते यातायात दबाव और सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) सुदृढ़ किया जा रहा है. इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 100.99 करोड़ रुपये के अतिरिक्त वित्तीय प्रावधान को मंजूरी दी है. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने राज्य सरकार की ओर से साइबर सिक्योरिटी को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से सेंटर फाॅर साइबर सिक्योरिटी, काउंटर टेररिज्म एंड एंटी-इंसर्जेंसी सेंटर की स्थापना और उपकरणों के लिए 18.40 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है.
आईटीएमएस: इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम प्रस्ताव के अनुसार यह सिस्टम प्रदेश के राजमार्गों और मुख्य सड़कों पर यातायात नियमों की अवहेलना करने और नशे में वाहन चलाने वाले चालकों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई में अहम भूमिका निभाएगा. साथ ही ओवर स्पीड एवं ओवरलोड वाहनों की वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा. हाल ही में राज्य सरकार की ओर से जयपुर स्थित हरीशचन्द्र माथुर लोक प्रशिक्षण संस्थान में स्टेट रोड सेफ्टी इंस्टीट्यूट खोला गया है. रोड सेफ्टी एक्ट के तहत राजस्थान पब्लिक ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का गठन भी प्रस्तावित है.
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आईटीएमएस के प्रमुख उद्देश्य : आईटीएमएस के अंतर्गत स्वचालित ट्रैफिक माॅनिटरिंग एंड वाॅयलेशन डिटेक्शन सिस्टम, स्पीड वाॅयलेशन डिटेक्शन सिस्टम, रेड लाइट वाॅयलेशन सिस्टम, विभिन्न प्रतीक चिन्ह, सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम, ट्रैफिक माॅनिटरिंग सेंटर एवं ई-चालान सहित विभिन्न कार्य होंगे. चालानों का समयबद्ध और दक्षता के साथ निस्तारण, गंभीर सड़क हादसों पर अंकुश लगाना, साथ ही बेहतर कार्यप्रणाली के लिए राज्य के विभिन्न विभागों को समन्वय के साथ एक प्लेटफाॅर्म पर लाना आईटीएमएस के प्रमुख उद्देश्य हैं.
18.40 करोड़ रुपये की स्वीकृति : राज्य सरकार की ओर से साइबर सिक्योरिटी को और मजबूत बनाया जा रहा है. इन अपराधों की रोकथाम और आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से सेंटर फाॅर साइबर सिक्योरिटी, काउंटर टेररिज्म एंड एंटी-इंसर्जेंसी की स्थापना की जा रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सेंटर की स्थापना और उपकरणों के लिए 18.40 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है. गहलोत की इस स्वीकृति से सेंटर के अंतर्गत राज्य स्तरीय, रेंज/आयुक्तालय स्तरीय और जिला स्तरीय लैब विकसित की जाएगी. लैब में राज्य के लिए साइबर सुरक्षा, अपराधों की आसूचना, अनुसंधान के साथ रोकथाम के लिए विभिन्न राज्य और देशों में मौजूद सरकारी एजेंसियों से संपर्क कर साॅफ्टवेयर विकसित किया जाएगा.